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चंद्र किरण शर्मा भाटापारा |
मनाओ आज तुम होली
जरा ये रंग पक्के हो।
मिलाओ मन जरा मन से
सुनो ये रंग सबके हों ।
सभी के कंठ से निकले
मधुर सी रागिनी प्रीति।
बसा दो आंँख में खुशियां
पले जो प्रेम मनके हों।
जले हैं होलिका जो आज
उजालानभ तलक छाया।
मले जो गाल पर है रंग
उमंगो से फलक भाया।
सहजता से सरलता से
मनाएं त्योहार होली का।
बनी रंगीन दुनिया है
नीर आँखों छलक आया।।
चटक सी रंग बिखरे हैं
धरा भी रंग गई सारी ।
रहे गंगा सी पावन वह
हरी काश्मीर की क्यारी।
मजहबीं भी रंग धो डालें
चलों बस खेल लें होली ।
पले बस आस पलकों पर
मृदुल सी है लगे प्यारी।