हरिकेश यादव -संवाददाता (इंडेविन टाइम्स)
अमेठी।
o स्वच्छ भारत मिशन में लुटेरे प्रधान कामयाब रहे
o सफाईकर्मी, स्वास्थ्यकर्मियों की मिलीभगत से घोटाला
० मलेरिया मच्छरों ने लोगों का जीना किया मुश्किल
पंचायत में गंवई मतदाता ठगी के शिकार हुए, महिला - पुरुष, जाति आरक्षण नीति सरकार की कामयाब हैं। सफाईकर्मी - स्वास्थ्यकर्मियों ने खुशामद प्रधान - सचिव की किया। और स्वच्छ भारत मिशन में लुटेरे प्रधान कामयाब रहे। मच्छरों से लोग परेशान हैं। गांव में बने सार्वजनिक, निजी शौचालय गंदगी से उबर नहीं पा रहे हैं। पानी पीने के लिए हो, गंदे पानी की हो, पंचायत ने सोख्ता गड्ढे नहीं बनबाये। जहाँ बने भी कामयाब नहीं, क्योंकि निगरानी पंचायत प्रतिनिधियों के साथ प्रशासन - शासन ने नहीं किया। जल निकास नाली बनीं तो बड़े नाले से नहीं मिल पाई, निर्माण कार्य अधूरा रहा। तकनीकी सहायक, अभियंता अपने जिम्मेदारी पर आडिग नहीं रहे, सिर्फ योजना के नाम समझौता किए। अपना कमीशन लेकर किनारे हुए। फोटो - मच्छर जिनसे आम आदमी की नींद हराम
डॉ जगदीश प्रसाद पाण्डेय का कहना है कि स्वच्छ भारत मिशन, स्वच्छता अभियान, के नारे लगाए गए। जनप्रतिनिधि के साथ साथ अधिकारी, कर्मचारी ने गर्म जोशी के साथ अभिनन्दन सरकार के फरमान का किया। लेकिन सच्चाई गले नहीं उतर रही है। सफाईकर्मियों ने प्रधान, सचिव और अधिकारियों की हां में हां मिलाई। और चंद रूपए की लालच में पगर इन्हें अधिकारी थमा रहे हैं।
राम नेवाज पाल का कहना है कि पंचायत में शौचालय बने। निजी बने तो अधिकांश उपयोग लायक नहीं है। सार्वजनिक बने तो अधिकांश में ताले लटक रहे हैं। गांव में आबादी की जमीन, सरकारी की सुरक्षित भूमि, और आबादी के समीप खेतों में, बाग में लोग खुले शौच में जाते हैं। स्वच्छ भारत मिशन में लूट खसोट मची है।
लाल प्रताप यादव का कहना है कि जल निकास नाली पंचायत की साफ नहीं है। और स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति पाईप भी जीवाणु रहित अधिकाशं नहीं।निज हैण्डपम्प, इण्डिया मार्क टू हैण्डपम्प, समरसेबुल के सफाई पर ध्यान नहीं। खुले में पानी का बहाव, सीलन, गंदे पानी के भराव से मच्छर को पनाह देने की है।
बृन्दावन का कहना है कि स्वच्छता अभियान की अनदेखी से सरकारी भवन, सार्वजनिक स्थल, आवासीय कॉलोनी, निजी आवास, जल निकास नाली, शौचालय निजी, सार्वजनिक शौचालय, पशुशाला में गोबर और मूत्र, बचें चारे के रखरखाव ठीक से ना होने पर मच्छरों की संख्या में बृद्धि हो रही है।।
राम दुलारे वर्मा का कहना है कि पंचायत में स्वास्थ्य कर्मियों को अहम भूमिका सौंपी गई है। लेकिन वे निर्वाह नहीं कर रहे हैं। ब्लीचिंग पाउडर का वजट, चूना डालने का बजट में सिर्फ बन्दर बाट चल रहा हैं। ऐसे में मच्छर अब दिन कटना शुरू कर दिए। रात में मच्छर का इस कदर आतंक हैं। कि पंखे की हवा में भी मतदाताओं को खोज निकाल खून चूस रहे हैं और लोगों में अनिद्रा की बीमारी फैल रही है।
राम प्रताप वनवासी का कहना है कि त्रिस्तरीय पंचायत में गठित आधा दर्जन समितियों की बैठक जनप्रतिनिधियों की गठन की बैठक के बाद पूरे कार्यकाल में दुबारा नहीं हो पातीं है। और तो और अब तो ग्राम पंचायत में खुली बैठकें गुजरे जमाने की बात हो चलीं है। अब सफाईकर्मी और पंचायत रोजगार सेवक, मनरेगा मेट ही बैठे बैठाये खुलीं बैठक निपटा देते हैं। बैठक में अधिकारियों की जरूरत नहीं पड़ती हैं। अब तो रोजगार सेवक और सफाईकर्मी ही ब्लाक मुख्यालय पर मजदूरों के हस्ताक्षर कर मास्टर रोल की एम आई यस में फीडिंग खुलेआम डाटा आपरेटर कर रहे हैं। और तो और अब तो ऐसी तरह बैठक भी निपट जा रही हैं।
महेंद्र बरनवाल का कहना है कि पंचायत में अनुसूचित जाति पुरूष, अनुसूचित जाति महिला, पिछड़ा वर्ग पुरूष, पिछड़ा वर्ग महिला, महिला का आरक्षण लागू हैं। अधिकांश जनप्रतिनिधि तो सिर्फ पद के लिए हैं। लेकिन पद की जिम्मेदारी किसी दूसरे से संचालित होती हैं। अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सिर्फ नौकरी के लिए आरक्षण पर चुने गए प्रतिनिधियों के सही और गलत हस्ताक्षर कराकर योजना ढकेली जा रही है। सुबह-शाम मच्छरों से मतदाता लड रहे। लेकिन बिना मार्टिन, पंखे, मच्छरदानी के नींद नहीं आ रही हैं। धुंआ से निजात जाता है। लेकिन उपले, सूखी पत्ती, आदि सुलगाने के लिए अब गांव में उतना मिल नहीं पाता है।
जिले में तैनात रहे निवर्तमान जिला पंचायत राज अधिकारी से बात की। तो उन्होंने भारत स्वच्छ मिशन के अन्तर्गत ग्राम पंचायत को ओ डी एफ में शत प्रतिशत अच्छादन की बात कही थी। लेकिन शौचालय का निर्माण अधूरा, उपयोग ना करने के लिए सवाल खबर प्रकाशित की गई। तो अधिकारी, कर्मचारी के तबादले कर दिए गए। लेकिन शौचालय की दशा में कोई बदलाव नहीं आया। जब कि जिला पंचायत राज अधिकारी श्रेया मिश्रा ने शौचालय की जांच की शिकायत पर कार्यवाही की। प्रधान भी कार्यवाही के जद में आए। लेकिन भारत स्वच्छ मिशन की सच्चाई आज भी गांव की साफ साफ बयां कर रही हैं। हकीकत दूर नहीं आसपास है। चुप्पी, खामोशी तोडना होगा। नहीं आक्षरण के नाम पर देश बिक रहा हैं। तो गांव भी पूंजीपतियों की मुट्ठी में होगा। अब तो आरक्षण के बाद में राजनैतिक दलों ने गांव में बांटने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।