इंडेविन न्यूज नेटवर्क
लखनऊ।
कुछ लोग अपनी गलत हरकतों से बाज नहीं आते हैं। संकट की घड़ी में भी ये लोग कालाबाजारी करने से नहीं चूकते। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में लखनऊ में कई बड़े नाम सामने आए हैं। लगातार दूसरे दिन बड़े पैमाने पर इंजेक्शन पकड़ी गई। केजीएमयू व क्वीनमेरी अस्पताल के कर्मचारी, हर्षा अस्पताल के मालिक शहजाद, दवा व्यापारी और कई अन्य इस कालाबाजारी में शामिल हैं। शुक्रवार को 16 लोगों को कालाबाजारी के आरोप में गिरफ्तार किया गया।नाका और अमीनाबाद पुलिस ने दवा कम्पनी के एजेन्ट समेत छह लोगों को पकड़ कर 127 इंजेक्शन, गोमती नगर पुलिस ने हर्षा अस्पताल के मालिक प्रियदर्शिनी कालोनी निवासी शहजाद समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर 54 इंजेक्शन बरामद किये हैं। वहीं मानकनगर पुलिस ने चार दलालों को गिरफ्तार कर 91 इंजेक्शन बरामद किये हैं। ये सभी इंजेक्शन नकली पाये गये हैं। नाका पुलिस को मिले 116 इंजेक्शन असली पाये गये हैं। वहीं अन्य बरामद इंजेक्शन असली है या नकली है, इसके लिये इनके सैम्पल स्वास्थ्य विभाग को जांच के लिये भेज दिये गये हैं।
उसने चारबाग आने को कहा। इंस्पेक्टर ने चारबाग मेट्रो स्टेशन के पास सादे कपड़ों में एक सिपाही को भेजा। इंजेक्शन मिलते ही पुलिस ने अंकुश और उसके तीन साथियों को पकड़ लिया। अन्य लोगों में केजीएमयू का संविदाकर्मी गोण्डा निवासी राम सागर, स्कोप अस्पताल के कर्मचारी राजाजीपुरम निवासी अमनदीप मदान और संडीला निवासी अंशु गुप्ता शामिल है। अंकुश ने बताया कि इंजेक्शन रितांशु मौर्या उपलब्ध करता था। जिसे वह लोग 25 से 30 हजार में बेचते थे। आरोपियों के पास 116 इंजेक्शन, एक लाख 94 हजार रुपये और तीन बाइक मिली हैं।
कौशल ने प्रति इंजेक्शन 20 हजार रुपये में देने की बात कही थी। सौदा तय होने पर कौशल को सप्लाई देने के लिए कनौसी पुल बुलाया गया। यहीं सबको गिरफ्तार कर लिया गया। आपदा में दवाओं की मुनाफाखोरी करने वालों में बाराबंकी निवासी रितांशु मौर्य अहम कड़ी है। उसके जरिए ही मानकनगर और नाका में पकड़े गए आरोपियों को रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराए जाते हैं। रितांशु असली के साथ ही नकली रेमडेसिविर भी सप्लाई करता है। रितांशु मौर्य की तलाश में छापेमारी की जा रही है।