इंडेविन न्यूज नेटवर्क
महान चित्रकार राजा रवि वर्मा पर कभी अश्लीलता फैलाने और सार्वजनिक नैतिकता को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया था, क्योंकि उन्होंने कुछ निर्वस्त्र चित्र बनाए थे। उन्हें अपनी इस कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए इसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ी। लेकिन इसी वजह से आज भी सालों बाद हम इस कलाकार को रचनात्मक स्वतंत्रता के प्रतीक के तौर पर याद करते हैं। 29 अप्रैल को राजा रवि वर्मा की 173 वीं जयंती है। फिल्मों में इस कलाकार को श्रद्धांजलि देने वाली केवल एक ही फिल्म याद आती है और वह थी साल 2008 में रिलीज़ हुई केतन मेहता की 'रंग रसिया'।केतन मेहता लंबे समय से राजा रवि वर्मा से प्रभावित रहे। मैं जब भी उनके दफ्तर में गई तो मैंने वहां उनके कैबिन और ऑफिस की दीवारों पर चारों ओर रवि वर्मा की पेंटिंंग्स देखीं। वे उस समय रवि वर्मा के जीवन और सुगंधा के साथ उनके संबंधों पर फिल्म बनाने के लिए शोध कार्य में जुटे हुए थे। पुस्तकालयों की खाक छान रहे थे।
राजा रवि वर्मा पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने हिंदू देवी-देवताओं की छवियों को कैनवास पर रूप प्रदान किया। चूंकि उनके संदर्भ पौराणिक कथाओं से आए थे। इसलिए उनके चित्रों को भारतीय पहचान के रूप में विकसित होने में समय नहीं लगा। केतन कहते हैं कि सभी दूरदर्शी व्यक्तियों का विवादों के साथ गहरा नाता रहा है। रवि वर्मा आधुनिक भारतीय कला के प्रणेता थे। मेरी फिल्म 'रंग रसिया' ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के जरिए इस कलाकार की कला यात्रा को एक विस्तार देने का काम किया।
क्या आपको इस बात पर दुख है कि इस फिल्म की ज्यादा चर्चा नहीं हुई। अगर इसमें कुछ बड़े सितारे होते तो शायद लोगों का इस पर ज्यादा ध्यान नहीं जाता? इस बात से केतन सहमत नहीं हैं। वे कहते हैं कि रणदीप हुड्डा और नंदना सेन उन भूमिकाओं के लिए बिल्कुल सही पसंद थे। 'रंग रसिया' में केवल नए चेहरे ही लिए जा सकते थे। 19वीं शताब्दी से मिलते-जुलते चेहरों की कास्टिंग इतनी आसान नहीं थी। तकनीकी टीम भी उतनी ही महत्वपूर्ण थी। हमें एक ऐसी टीम की जरूरत थी जो प्रतिभाशाली और परियोजना के लिए समर्पित हो। 'रंग रसिया' शुरुआती भारतीय सिनेमा के प्रति मेरी एक श्रद्धांजलि थी।
एक स्टार कैसे बचें वायरस से?
मेरे इनबॉक्स पर उन खबरों के आने का सिलसिला जारी है जो बताती हैं कि कुछ और एक्टर्स कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। फिल्म की शूटिंग और उनकी असामान्य जीवन शैली के कारण फिल्मी सितारों, खासकर महिला सितारों के संंक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है। उदाहरण के लिए आलिया भट्ट को लेते हैं। वे 'गंगूबाई काठियावाड़ी' की शूटिंग कर रही थीं। फिर वे 'आरआरआर' की शूटिंग के लिए दक्षिण चली गईं। कुछ दिनों बाद ही उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई।
दैनिक दिनचर्या में फिल्मी सितारे कई लोगों के साथ निकट संपर्क में आते हैं। जैसे आलिया भट्ट या अन्य अभिनेत्रियां जब सुबह उठती हैं तो उन्हें उनके सहायक ही बिस्तर पर चाय देते हैं। इसके बाद वर्कआउट के लिए ट्रेनर आती हैं। वर्कआउट के बाद स्टाफ की अन्य सदस्य बाथरूम में उनके लिए कपड़े तैयार रखती है। एक अन्य स्टॉफ उनका नाश्ता तैयार करता है। कोई रसोई से फल या ज्यूस वगैरह की टोकरी लेकर उनकी कार की डिक्की में रखता है। फिर उनका ड्राइवर उन्हें शूटिंग स्थल पर ले जाता है। सेट पर कम से कम पांच कर्मचारियों की टीम उनकी सेवा में तत्पर रहती है। मेकअप-मेन और डेयर ड्रेसर भी अपने-अपने काम करते हैं। स्टाइलिस्ट और उसका सहायक उनके परिधानों की देखभाल करते हैं। अंतत: वह शूटिंग करने को तैयार होती हैं। इसके बाद लेखक या निर्देशक उनके दृश्य को समझाते हैं। यह एक स्टार के जीवन का एक सामान्य दिन है। किसी भी समय एक सेट पर 100 से भी अधिक लोग रहते हैं। ऐसे में वायरस को नियंत्रित करना असंभव है!
- भावना सोमाया, जानी-मानी फिल्म लेखिका, समीक्षक और इतिहासकार