देश

national

11 अप्रैल को चैत्र अमावस्या :इस तिथि पर श्राद्ध से संतुष्ट होते हैं पितृ

Thursday, April 8, 2021

/ by Dr Pradeep Dwivedi

इंडेविन न्यूज नेटवर्क

11 अप्रैल को चैत्र महीने की अमावस्या है। ग्रंथों में इसे पितृ कर्म के लिए बहुत ही खास माना जाता है। इस तिथि पर पितरों की संतुष्टि के लिए श्राद्ध और ब्राह्मण भोज करवाने का भी विधान बताया गया है। इस बार ये पर्व रविवार को होने से और भी खास हो गया है। इस दिन सूर्य के साथ पितृ पूजा करने से पितर पूरी तरह संतुष्ट होते हैं।

इस दिन पीपल की पूजा करने से भी पितृ प्रसन्न होते हैं। श्रीमद्भागवत गीता में कहा गया है कि पीपल में भगवान का वास होता है। वहीं अन्य पुराणों के मुताबिक यही एक ऐसा पेड़ है जिसमें पितर और देवता दोनों का निवास होता है। इसलिए चैत्र महीने की अमावस्या पर सुबह जल्दी उ‌ठकर नहाने के बाद सफेद कपड़े पहनकर लोटे में पानी, कच्चा दूध और तिल मिलाकर पीपल में चढ़ाया जाता है। फिर पीपल की परिक्रमा भी की जाती है और पेड़ के नीचे दीपक भी लगाया जाता है। इससे पितरों को तृप्ति मिलती है।

चैत्र अमावस्या का महत्व
मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन व्रत रखने से भी पितरों को संतुष्टि मिलती है। इस दिन किसी पवित्र नदी में नहाने का विधान है। तर्पण करने के लिए नदी में नहाकर सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण करना चाहिए। इसके बाद किसी ब्राह्मण को भोजन करना चाहिए और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए।

चैत्र अमावस्या पर स्नान और दान के लिए शुभ मुहूर्त
अमावस्या 11 अप्रैल, रविवार को सुबह सूर्योदय से शुरू होगी। जो कि अगले दिन यानी 12 अप्रैल, सोमवार को सुबह करीब 8 बजे तक रहेगी। इसलिए रविवार को पूजा-पाठ और अगले दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त रहेगा। सोमवार को अमावस्या का योग होने से स्नान-दान के नजरिये से ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि इस अमावस्या पर पितर अपने वंशजों से मिलने जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर पवित्र नदी में स्नान, दान व पितरों को भोजन अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।

स्नान-दान की परंपरा
अमावस्या पर पवित्र नदियों में नहाने की परंपरा है। हो सके तो किसी भी नदी में जरूर नहाएं। स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को दान दिया जाता है। अमावस्या पर दान का विशेष महत्व है। इस तिथि पर किसी जरूरतमंद को भोजन, कपड़े, फल, खाने की सफेद चीजें, पानी के लिए मिट्टी का बर्तन और जूते या चप्पल दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही किसी ब्राह्मण को भी भोजन करवाना चाहिए या मंदिर में आटा, घी, नमक और अन्य चीजों का दान करना चाहिए।


Don't Miss
© all rights reserved
Managed By-Indevin Group