रचनाकार - शैलेंद्र श्रीवास्तव
( प्रसिद्ध अभिनेता एवं लेखक)
माँ तू दिखती नहीं, पर साथ कभी होती थी।
तेरी ममता की छाँव , सिर पे मेरे होती थी।।
सिर को सहलाती, माँ साथ मेरे सोती थी।
मैं ना सोऊँ अगर , माँ साथ मेरे जगती थी।।
भाई बहनों में मुझको, प्यार अधिक देती थी।
मुझपे आए हुए हर दुःख, को वो हर लेती थी।।
अपने आँचल में छुपा, सबसे छुपा लेती थी।
ऐसे माँ क्रोध से पापा के, बचा लेती थी।।
मेरी ग़लती पे मार गालियाँ, भी देती थी।
मेरी शैतानी पे सिर, अपना पीट लेती थी।।
मेरे कष्टों पे मुझसे ज़्यादा, माँ ही रोती थी।
मेरी चोटों को अपने, आँसुओं से धोती थी।।
कोई कुछ भी कहे , वो ध्यान नहीं देती थी।
पूरी दुनियाँ में मेरा साथ, माँ ही देती थी।।