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रचनाकार- शैलेन्द्र श्रीवास्तव प्रसिद्ध अभिनेता व लेखक |
विचार…
दर्पण होता है
मानव व्यक्तित्व का
उसके मधुर-कटु
सम्बन्धों का।
विचार…
कारक होता है
राष्ट्रों के मध्य
मित्रता-शत्रुता का
उत्थान-पतन का
विचार…
निर्भर करता है
चित्त की वृत्तियों पर
मानस की
शुद्धता-अशुद्धता पर
आहार्य पर
जैसा अन्न वैसा मन
विचार…
यदि उद्वेलित करता है
हरण कर लेता है
रात्रि की निद्रा
दिवस का आह्लाद
क्लांत कर देता है
अशांत कर देता है
विचार…
चिंतन मनन हो तो…
श्रेष्ठ साहित्य का
निर्माण करता है
चिन्ता, तनाव हो तो…
व्याधियों को जन्म देता है
उच्च रक्तचाप, मधुमेह
हृदय रोग, अवसाद आदि
विचार…
अशुद्ध हो
उच्छ्रिंखल हो
तो ताण्डव करा देता है
उथल-पुथल मचा देता है
नष्ट कर देता है
सम्पूर्ण जीवन
विचार…
शुद्ध हो तो
मन मस्तिष्क को
सुगन्धित कर देता है
ऊर्जा से भर देता है
आंदोलित कर देता है
जीवन को अर्थ देता है
अभीष्ट देता है
विचार…
कर्म निर्धारित करता है
कर्म जीवन परिवर्तित कर देता है
प्रेम करुणा विश्वास
उत्पन्न करता है
विचार…
उद्विग्नता में अति तीव्र
शान्त मन में मंद गति से
प्रवाहित होता है
स्थिर होता है
अर्थपूर्ण होता है
विचार…
मिश्रित भावों में
सतत निरंतर
अबाध गति से अविरल
प्रवाहित होता रहता है
प्रतिक्षण
नदी के जल प्रवाह
जल प्रपात
सागर की लहरों सदृश…
इस प्रवाह को
अवरुद्ध करना
असम्भव है…असम्भव…
किन्तु सम्भव है…
विश्रांत भाव से
साक्षी भाव से
द्रष्टा होकर
सजग जागरूक होकर
प्रत्येक विचार का
आँकलन कर
नियंत्रण… सम्भव है…
उचित दिशा देना सम्भव है
स्वतः स्फूर्त नहीं
विचारयुक्त प्रत्युत्तर
वैसे ही जैसे…
नियंत्रित करते हैं
नवजात शिशु की
उदण्डताओं को
उपस्थिति से…वर्जना से…
महत्वपूर्ण होता है
उचित विचारों का चयन
आत्मानुशासन
प्रदर्शित करता है
आत्मशक्ति को
विचार…
“ध्यान” में ले जाए तो…
शिव का…
साक्षात्कार कराता है
सहवास कराता है
विचारों की उत्कृष्टता
प्रजनन करती है
परिपक्व नव-व्यक्तित्व का
शान्त चित्त का
शान्त चित्त…
बोध कराता है
परमानन्द का…
शान्ति का…
परमात्मा का…