रजनी द्विवेदी
इंडेविन न्यूज नेटवर्क
लखनऊ।
राजधानी लखनऊ के आरटीओ कार्यालय में 15 करोड़ का घोटाला सामने आया है। इसमें शामिल परमिट सेक्शन के कर्मचारी 5 वर्ष तक 5500 परमिट के नवीनीकरण के दौरान वसूली गई जुर्माने की रकम का गमन कर गए। ऑडिट टीम ने जांच के बाद शासन एवं परिवहन विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है। शासन गबन की रकम का सत्यापन करवा रहा है। इससे परमिट सेक्शन के पूर्व व वर्तमान जिम्मेदारों में खलबली मच गयी है। जुर्माने की रकम का 2 तरीके से गबन किया गया। इसमें एक तो पुरानी तारीख में वाहन मालिक से परमिट नवीनीकरण की एप्लीकेशन लेकर और दूसरा मैनुअल तरीके से वसूले जुर्माने को भी सरकारी खजाने में जमा नहीं किया गया। ऑडिट टीम ने RTO में वर्ष 2016 की जनवरी से 2020 की जनवरी तक वाहनों के परमिट नवीनीकरण के जुर्माने की रकम को जांचा है। इसमें पाया गया है कि 5500 परमिट नवीनीकरण के जुर्माने की 15 करोड़ की रकम जमा नहीं की गई। टीम ने फरवरी में इसकी रिपोर्ट शासन और परिवहन आयुक्त को भेजी है। आरटीओ में परमिट इकाई के कर्मचारियों ने वाहन परमिट के नवीनीकरण के दौरान ₹25 प्रतिदिन के रेट से लगने वाले जुर्माने में पुरानी तारीख के प्रार्थना पत्र के माध्यम से खेल किया। इसमें आवेदक की कोर्ट फीस के नाम पर एप्लीकेशन लेकर मैनुअल ₹100 की रसीद काट कर दे दी और बाद में वाहन मालिक की बीमारी या अन्य कारण दर्शा कर जुर्माने की रकम बाट ली। परमिट सेक्सन के कर्मचारी नवीनीकरण के जुर्माने की रकम मैनुअल काउंटर पर जमा कराते थे जबकि इसकी फीस परमिट सेक्शन में ऑनलाइन कंप्यूटर में जमा होती थी। इससे जाहिर है कि रकम परमिट सेक्शन से लेकर काउंटर तक के कर्मचारियों के बीच बट रही थी। शासन ने ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद गबन के सत्यापन के लिए 3 सदस्य टीम बनाई। इसमें शामिल शासन के विशेष सचिव अरविंद कुमार पांडेय, परिवहन विभाग के वित्त नियंत्रक राजेंद्र सिंह और डिप्टी कमिश्नर (यात्री कर) मुख लाल चौरसिया ने जांच शुरू कर दी है। हालांकि बीमारी के चलते अरविंद पांडे फिलहाल जांच नहीं कर रहे हैं।
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