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तुमने मुझको स्वीकार किया - शैलेंद्र श्रीवास्तव

Tuesday, July 27, 2021

/ by Dr Pradeep Dwivedi

रचनाकार - शैलेन्द्र श्रीवास्तव
प्रसिद्ध अभिनेता व लेखक

नव आशाओं और स्वप्नों को,

  तुमने संग मिल साकार किया।

मुझ अनगढ़ पत्थर को गढ़कर,

   एक सुन्दर सा आकर दिया।।

मैं जो भी हूँ जैसा भी हूँ,

   तुमने मुझको स्वीकार किया।

संघर्ष की आपाधापी में,

     नवचेतन का संचार किया।।

प्रतिपल जीवन के सुखदुःख में’

       प्रिय तुमने मेरा साथ दिया।

जीवन पुस्तक के पृष्ठों सी,

   मुझे गले लगाया मान दिया।।

तुम एक प्रभू की लहर सी बन,

       कष्टों की नैया पार किया।

मन हर्षित करके जेठ में भी,

   सावन की एक फुहार दिया।।

तुमने जब अपने जीवन पर,

    मुझको पूरा अधिकार दिया ।

मन हृदय प्राण में रच बस कर,

 मेरे जीवन को विस्तार दिया ।।

मैं आभारी हूँ ईश्वर का,

     जिसने मुझको संसार दिया।

और आभारी हूँ तेरा भी,

  जिसने मुझको घरबार दिया।।

जीवन में जो कुछ पाया है,

      वो सबकुछ तेरे नाम किया।

अब देने को क्या शेष है जब,

    जीवन ही तुझपे वार दिया।।

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