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लेखिका - डिम्पल राकेश तिवारी अयोध्या |
जीवन मे जिस समय हम
सबसे ज़्यादा कमज़ोर पड़ते हैं ,
वही हमारी ज़िंदगी का
सबसे ताकतवर पल होता है ।।
सबसे ताकतवर पल
क्योंकि उसके बाद खोने के लिए
कुछ नहीं बचता ,
और हमारे अंदर चट्टान की तरह
हर तूफान से टकराने का हौसला आ जाता है ।।
जब हमें लगने लगता है कि
अब सब कुछ खत्म हो गया,
तब हमारी ज़िंदगी को
एक अलग दिशा मिलती है
क्योंकि घनघोर निराशा के बाद ही
नई आशा का सृजन होता है ।।
ठहरे हुयें हैं हम ,
हारे नहीं हैं ,
फिर लौटेंगे ,
पूरी ताकत के साथ..
खफा-खफा सी ज़िंदगी को गले लगाने के लिए..।।