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जो बिछड़ गया सो बिछड़ गया - सीमा मोटवानी

Wednesday, July 28, 2021

/ by Dr Pradeep Dwivedi

रचनाकार - सीमा मोटवानी
फैज़ाबाद

जो बिछड़ गया सो बिछड़ गया, 

उसका न मलाल कर,

दिल ज़िन्दा है अभी सीने में, 

कुछ उसका भी ख़्याल कर,


अभी राह में आयेंगें मोड़ नये,

मंजिलों तक पहुँचने में हैं मुश्किलें बड़ी,,

पिछली गलियों से तू न सवाल कर,

दिल ज़िन्दा है अभी सीने में, 

कुछ उसका भी ख़्याल कर,


इश्क़ नहीं खेल जीने-मरने का,

कुछ इशारा समझ तू लकीरों का,

लैला-मजनूं को तू न मिसाल कर

दिल ज़िन्दा है अभी सीने में,

कुछ उसका भी ख़्याल कर।

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