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साहित्य नव सृजन, ने वार्षिकोत्सव में किया साहित्यकारों को सम्मानित

Sunday, July 11, 2021

/ by Dr Pradeep Dwivedi

इंडेविन न्यूज नेटवर्क

गाजियाबाद।

साहित्य नव सृजन साहित्यिक संस्था,गाजियाबाद ने अपना प्रथम वार्षिकोत्सव बड़े हीं हर्षोल्लास से अनूठे अंदाज में कोरोना के नियमों का पालन करते हुए ऑनलाइन मनाया। जिसमें  देश के जाने-माने नामचीन साहित्यकारों को आमंत्रित किया गया था। सुप्रसिद्ध गजलकार शिवकुमार बिलगरामी जी, सुविख्यात हायकुकार डा.राजीव पाण्डेय, साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय  कवयित्री रमा सिंह एवम् सुप्रसिद्ध पत्रकार डा चेतन आनंद जी सम्मिलित हुए। संस्था की संस्थापिका अनुपमा पांडेय 'भारतीय' एवम् संस्था के अध्यक्ष ओंकार त्रिपाठी  ने विधिवत कार्यक्रम का आयोजन किया।

शुरुआत अतिथिगणों के स्वागत से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता देश की डाक्टर रमा सिंह ने की। पंरपरा अनुसार सरस्वती वंदना गाज़ियाबाद की उभरती कवयित्री गार्गी कौशिक के सुमधुर कंठ से हुई। तदोपरांत नवोदयी जी ने अभिनंदन गीत गाया। सभी अतिथियों एवम् पटल पर स्लाइड शो से जरिए पुष्प वर्षा की गई ,साथ हीं केक भी काटा गया। सभी ने तालियों की गड़गड़ाहट से वाकई माहौल को रोमांचक बना दिया।

संस्थापिका अनुपमा पाण्डेय भारतीय ने संस्था की एक वर्ष की गतिविधियों एंव उपलब्धियों को विडिओ क्लिप के जरिये मंच पर साझा किया। संस्था के अध्यक्ष ओंकार त्रिपाठी ने मंचासीन अतिथियों को काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया सर्वप्रथम प्रसिद्ध गीतकार डॉक्टर राजीव पाण्डेय ने काव्य पाठ किया। उन्होंने हिन्दी को समर्पित गीत पढ़ा: 

मृगनयनी के नयन लजीले,नगर वधु वैशाली से, प्रिय प्रवास से राधा नाची,

दिए उलाहने आली से, फटी पुरानी धोती 

में भी, धनिया के सोलह श्रृंगार ,पाया हिन्दी ने विस्तार।

उसके बाद देश के जाने माने शायर शिवकुमार बिलग्रामी जी ने संस्था के एक वर्ष के कार्य की सराहना करते हुए संस्था की उज्ज्वल भविष्य की कामना की  उन्होंने अपने एक मशहूर शेर 

तुम मेरे साथ कोई दिन ये सियासत भी करो, मुझसे नफरत भी करो,मुझसे मुहब्बत भी करो।

आपके दिल में मुकदमा है मेरा 

मेरे मुनसिफ भी रहो अपनी वकालत भी करो । 

से शुरुआत की और अपना काव्य पाठ इन पंक्तियों से समाप्त किया :

अपनों से गैरों से कोई भी गिला रखना

आँखों को खुला रखना होठों को सिला रखना।

बिलगरामी जी के शेर से महफिल वाह वाह कर उठी।

तदोपरांत डॉक्टर रमा सिंह जी ने अध्यक्षीय काव्य पाठ किया। उनका एक शेर 

आग से तप कर जो निकला वो रमा कंचन हुआ, बात तो सच थी मगर ये देर से माना सभी ने।

उन्होंने हिन्दी के विकास की बात करते हुए कहा कि साहित्यकारो का दायित्व है कि समय-समय पर साहित्यिक पाठशालाओं का आयोजन करते रहें।हिंदी को विश्व की प्रथम भाषा बनाए जाने के लिए साहित्यकारों से योगदान देने के लिए कहा। संस्था के अध्यक्ष ओंकार त्रिपाठी जी ने सभी अतिथियों एवम् संस्था के प्रति अपने उदगार कुछ इस प्रकार प्रकट किए:

शब्द शब्द राग भरा, स्नेह अनुराग भरा

पुष्प में पराग भरा सादर अभिनंदन है।

संचालिका अनुपमा जी ने शुभकामना संदेश में कहा:


साहित्य नव सृजन में,

नित नव रचनाओं का सृजन रहे

काव्य पटल धन्य रहे,

शब्द पुष्पों का नित अर्पण रहे।

साहित्य शिल्पीयों के काव्य पाठ ने वार्षिकोत्सव में रंग जमा दिया। पटल के भी सक्रिय एवम् नवनिर्वाचित सदस्य बृज माहिर जी,गार्गी जी,देव जी ने अपनी काव्य प्रस्तुति दी।

इसके बाद सभी अतिथियों एवम् संस्था के वरिष्ठ कवियों को साहित्य जगत में विशिष्ट योगदान के लिए संस्था ने साहित्य रत्न सम्मान से सम्मानित किया एवम् संस्था के सक्रिय रचनाकारों को साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। इसमें गार्गी कौशिक, देव शर्मा देव, बृज माहिर, डॉक्टर शैल बाला अग्रवाल , अटल मुरादाबादी, विधाशंकर अवस्थी , राजेश नवोदयी , भोला दत्त जोशी , शरद जोशी शलभ , कृष्ण कुमार दुबे, अंजना शर्मा, अंजू अग्रवाल, अतुल कास्ट, सोनिया प्रतिभा तानी,अर्चना दुबे, सोनम यादव  आदि सम्मलित थे। कार्यक्रम का समापन अध्यक्षीय उद्बोधन एवम् धन्यवाद ज्ञापन से किया गया।

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