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मै कौन हू - रिचा शुक्ला

Friday, July 30, 2021

/ by Dr Pradeep Dwivedi

लेखिका - रिचा शुक्ला
ओल्ड हैदराबाद लखनऊ

मै कौन हू। यह एक ऐसा सवाल है जिसका जबाव ढूंढना बहुत मुश्किल भी है और जरूरी भी कहेने को तो मै कौन हू एक बहुत छोटा सा सवाल है लेकिन पूरी जिंदगी का सार इसी सवाल मे छुपा हुआ है ।जो भी इस 'मै कौन हू' सवाल का जवाब ढूंढ लेगा वो जिंदगी के उतार चढावो से परे हो जायेगा।उसे अपनी जिंदगी का सही मकसद पता चल जायेगा ।

तो आइये मेरे साथ मिलकर खोजने की कोशिश करते है इस मै कौन हू को इसे खोजने के लिए क्या आप तैयार है ।क्या आप मेरी मदद करेगे क्या मेरे साथ इस खोजी सफर पर चलेगे। क्योकि मै तो अब इसी राह पर चल रही हू खुद की तलाश कर रही हू ।हां ये सफर लंबा जरूर है मुश्किल भी है पर नामुमकिन नही है ।

तो आइये लेखनी के घोडे पर मन को सवार करके अपनी खोज शुरू करते है ।

इस सवाल के जवाब के लिए मैने क्या क्या नही किया गूगल,फेसबुक, न जाने कितने यूटयूब चैनल छान डाले इन्टरनेट कि पूरी दुनिया धूम डाली,अनगिनत महर्षियो,संतो को सुना कितने बाबाओ कि देहरी टेकी 'सारे जहाँ से अच्छा' कोई बाबा नही मिला ।तब मैने 'टेटे छोरा सहर ढिंढोरा' कि शरण ली और सोचा कि क्यो न मैं कौन हूं नाम के सवाल का जवाब अपने अंदर ही ढूंढा जाए क्यों ना हम एक बार अपने अंदर झांक कर देखें और खुद से ही पूछे कि मैं कौन हूं ।क्योंकि खुद पढ़ने और देखने में और कुछ खुद पर ट्राई करने में बहुत अंतर होता है सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है कि हां सुन लिया और हमको पता चल गया कि मैं कौन हूं पर ऐसा नहीं है ।एक बार खुद पर रिसर्च करके देखी जाए कि आखिर मैं कौन हूं इस रिसर्च के परिणाम कुछ भी हो सकता हैं कोई स्पार्क हो सकता है कोई केमिकल रिएक्शन हो सकता है जो आपके दिमाग को हिला भी सकता है बहुत ज्यादा ध्यान और मेडिटेशन वगैरा करने में कई बार ऐसी स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं कि ढूंढ आप ईश्वर को रहे होते हैं और मिल कुछ और जाता है तो मैंने प्रयास शुरू किया और खुद से ही सवाल कर डाला कि मैं कौन हूं तो अंदर से जवाब आया कि तुम एक महिला हो तो क्या बस में सिर्फ एक महिला हूं जिसका नाम है जिसके बच्चे हैं जिसका पति है जिसका परिवार है और जो अपना और अपने परिवार का ध्यान रखती है। यही सवाल एक पुरुष के लिए भी है क्योंकि वह भी दिनभर अपने कामों में रहते हैं और फिर भूल जाता हैं कि वह कौन है हम लोग सारा दिन अपने कामों में इतना बिजी हो जाते हैं कि हम खुद को ही धीरे-धीरे भूलने लगते हैं। यह सवाल आपको अंदर तक झकझोर देगा कि आप कौन हैं क्या आपका रोज दिन भर भागना ही आपकी पहचान है कभी बच्चों के पीछे कभी परिवार के पीछे कभी पैसो के पीछे बस सारा दिन भागते ही रहो कभी शरीर से भाग रहे तो कभी अपने मन से भाग रहे हैं जी हां आप सोचेंगे कि मन से कोई कैसे भाग सकता है लेकिन ऐसा नहीं है हम मन से बहुत भागते हैं कहने का मतलब है बैठे-बैठे हमारा मन दूर विदेश को विदेश की यात्रा करके लौट आता है चांद सितारे अंतरिक्ष पूरा ब्रह्मांड वह सेकंड में घूमकर चला आता है ।भले ही हम लोग जिस मध्यमवर्गीय परिवार से हैं हमारे लिए विदेश घूमना एक सपना होता लेकिन हमारा मन हमें कई बार विदेश ले जा चुका है अमेरिका स्वीटजरलैंड टीवी पर देखने के बाद तो हम लोग पूरा पूरा विश्व घूम चुके हैं लेकिन वह केवल ख्यालों में। हम लोग दिनभर कुछ ना कुछ सोचते रहते हैं कि काश ऐसा हो जाए कि हमारे पास बहुत सी धन दौलत आ जाए अरे उसके पास इतनी महंगी महंगी कार कहां से आ गई हमारे पास तो कुछ नहीं है कभी किसी की बुराई करना कभी किसी से जलना सारी दुनिया की खबर हमको रहती है हर जगह हमारा मन भागता रहता है सुबह से शाम तक मन का एक नाम और होना चाहिए और वह होना चाहिए आवारा हां सही बात है मन से ज्यादा आवारा कौन है इसकी आवारागर्दी के तो कहने ही क्या जब जहां मर्जी आई वहां चला गया जब जिससे मर्जी आया बात कर लिया जब जिससे मर्जी आई जी भर के देख लिया और पकड़ा भी नहीं गया ।पर क्या कभी हमने अपने बारे में सोचने की कोशिश की है कि मैं कौन हूं मेरे अंदर क्या चल रहा है मैं क्या चाहती हूं या क्या चाहता हूं मैं या खुद को जानने के लिए थोड़ा सा ठहरओ लाना जरूरी है जिंदगी में अरे थोड़ा सा रुक जाइए। अपने लिए थोड़ा विचार करिए अपने बारे में दुनिया को जानने से पहले खुद को तो जानना सीखो अपने अंदर झांक कर तो देखो ताकि आप क्या हो कैसे बने हो अगर आपने खुद को जान लिया तो यकीन मानिए कि आप इस पूरे ब्रह्मांड को जान लेंगे फिर आपकी जिंदगी ही बदल जाएगी एक ठहराव आ जाएगा आपकी जिंदगी में जरूर इसके बाद आप खुद को पहचानने लगेंगे पर इसके लिए आपको अपने अंदर झांक कर तो देखना ही होगा एक बार खुद से तो मिलना ही होगा आईने में आप खुद को तो रोज देखते ही होंगे और खुद से रोज मिलते भी होंगे पर एक बार अपने अंदर के भी इंसान या अपनी अंतरात्मा को भी मिलकर तो देखो उसको तो पहचानने की कोशिश करो आप क्या हो यह दुनिया को मत दिखाओ अपने आप को दिखाओ कि आप क्या हो क्या चीज हो आप पहले खुद से तो नजरें मिलाकर कहो कि मैं यह हूं दुनिया तो खुद ब खुद ही जान जाएगी कि आप क्या हो आप अपने अंदर झांक कर देखो तो आपको अपने अंदर एक दुनिया दिखाई देगी एक अलग ही दुनिया ।क्योंकि आप जिस नजरिए से इस संसार को देखेंगे वह वैसा ही दिखाई देगा पहले आप अपने अंदर की दुनिया को तो ठीक करो बाहर अपने आप सब कुछ ठीक हो जाएगा आपके अंदर जो ताकत है उसको पहचानो और उसके लिए आपको मैं कौन हूं का जानना बहुत जरूरी है मैं से मेरा मतलब है स्वयं । मैं से बहुत से लोग मतलब लगाते हैं अहम शब्द से अहम शब्द किसी व्यक्ति के अंदर छुपे को विचारों या उसकी सर्वश्रेष्ठता को सिद्ध करने के लिए प्रतीक किया जाता है यहां मैं से मेरा तात्पर्य है अहम से ना होकर स्वयं से है अगर आप में अहम है तो आप कभी मैं से मिल ही नहीं सकते क्योंकि अहम वह दरवाजा है जो आपकी ओर बढ़ने वाली हर प्यार भरी आवाज हर प्यार भरे हाथ को आप तक पहुंचने रोकेगा तो आप खुद से कैसे मिल पाएंगे। यहां मैं आप खुद हो तो फिर अहम कि कहीं जगह ही नहीं बची तो क्या है मैं कहां से

 ढूंढे मैं को खुद के अंदर यह सारे सवाल मेरे अंदर भी आए थे सोचा मेडिटेशन करूं तो शायद पता चले पर कोई सारा दिन मेडिटेशन कैसे कर सकता है क्योंकि मैं भी इस संसार से जुड़ी हुई हूं योग साधना या मेडिटेशन से क्या खुद को जाना जा सकता है खोजा जा सकता है तो क्या मैं भी योग साधना करने लगूं नहीं बहुत सोच-विचार के बाद मैंने सोचा कि मैं का क्या मतलब है कि जो आपका बाहरी आवरण है या जो आपका बाहरी शरीर जिसको हम अच्छे से सजाकर सवार कर रखते हैं यह क्या है क्या यही मैं हूं नहीं यह मैं नहीं हूं क्योंकि इसके बाद भी कुछ बचता है जब  मैंने अपने अंदर झांकना शुरू किया तो बहुत से विचार मेरे अंदर आ रहे थे कभी अपने बारे में कभी अपने बच्चों के बारे में कभी समाज के बारे में अरे अभी तो मेरे बच्चों की शादी नहीं हुई अभी तो बहुत से पैसे जमा करने हैं इसके लिए इनका कैरियर बनाना है तो क्या यह विचार मैं हू नहीं यह विचार भी मै नहीं हूं तो फिर मैं कहां हूं तो मैं और अंदर जाने की कोशिश करती हूं तो यह आंखें जिससे हम यह पूरा संसार देखते हैं हमारी सांसे जो अभी चल रही है हमारा पेट जिससे हमें भूख का एहसास होता है तो क्या यह मैं हूं नहीं यह भी मैं नहीं हूं तो मैं कौन हूं यह शरीर तो केवल एक दिखावा है मैं तो इस शरीर के अंदर हूं यह दिखावा यानी कि यह शरीर तो 1 दिन मिट जाएगा तभी मैं ही रहूंगी इस संसार में इस पूरे संसार में मैं मेरा मैं कहीं आवरण रहेगा हम  स्वयं के अंतर्मन  में है बस उसको पहचानना है इस को पहचानने में जानने में कई साल लग जाते हैं और बहुतों को कुछ समय ही लगता है अगर आप अपने अंदर के मैं कौन हूं को पहचान लिया तो यह दुनिया ही अलग लगेगी तब आप लगातार भागते नहीं रहोगे थोड़ा सा अपने लिए रुकोगे तब कभी आपके अंदर ना किसी के लिए जलन होगी ना लड़ाई झगड़ा और ना ही धर्म के लिए एक दूसरे की जान लोगे जो कि आजकल बहुत ही हो रहा है मैं यह नहीं कहती की आप पैसे ना कमाओ अपने बच्चों का भविष्य ना बनाओ यह काम तो सबसे जरूरी है पर अपने अंदर के मैं को भी पहचानो खुद को भी पहचानो और वैसे भी जब तक आप और आपके बच्चे खुद कुछ बन नहीं जाते तो आप का तो मन इधर-उधर भटकेगा ही पर क्या हम यह सब काम खुद को पहचानने के साथ नहीं कर सकते? बस क्या करना है थोड़ा सा रुक कर अपने अंदर के मैं को भी जानने की जरूरत है अपने अंदर झांकने की जरूरत है तभी आपको सच्चा सुख मिलेगा क्योंकि रुपया पैसे से सुख तो केवल कुछ क्षण का होता है सच्चा सुख आपके अंदर है और वह आप ही ढूंढ सकते हो वह सुख अगर आपने पा लिया तो आपका देखने का नजरिया ही बदल जाएगा फिर आप खुद को ही नहीं पहचान पाओगे आपको लगेगा कि अरे यह कौन है आप खुद पूरा बदल चुके होंगे तब ना कभी छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आएगा और ना ही हिम्मत हारने वाले विचार क्योंकि यह फालतू के विचार ही हमारी पूरी जिंदगी बदल देते हैं इन विचारों से इंसान में सहनशीलता खत्म होती जा रही है छोटी-छोटी बातों पर या कोई भी परेशानी आई नहीं आपके सामने और आप सुसाइड या दूसरे को मारने के लिए तैयार रहते हो आप सोचो कि  आप इस संसार में क्यों आए हो ?आप का क्या लक्ष्य है इस संसार में आने का और इन सब को पहचानने के लिए आपको खुद को पहचानना होगा अपने विचार में संयम लाना होगा इसलिए मैं बार-बार आपसे बोल रही हूं कि आप मैं कौन हूं को पहचानो अपने अंदर जाकर के तो देखो एक बार नामुमकिन कुछ नहीं है पर हां एक बार नहीं बार-बार कोशिश करनी पड़ेगी मन भागेगा जरूर पर उसको पकड़ कर लाना पड़ेगा और यह काम आप ही कर सकते हैं कोई और नहीं करेगा तो आप मुझसे एक वादा करो की आप भी मैं कौन हूं की तलाश करोगे मेरी तरह आप भी इस रास्ते पर चलने की कोशिश करोगे मैं तो रोज खुद को पहचानने की कोशिश कर रही हूं और मुझे यकीन है कि मैं खुद को एक दिन पहचान भी लूंगी यह मेरा अब तक का सफर था वह मैने आपके सामने रख दिया है और मेरे साथ इस सफर में आगे जो भी महसूस होगा उसको  भी आपके सामने जरूर रखूंगी एक बार फिर आपसे मिलने जरूर आऊंगी बस आप भी इस सफर में साथ चलते रहिएगा ।

मेरी तलाश अभी अधूरी है 

थोडा ठहर जाओ कि तय करनी बहुत लंबी दूरी है

पा लोगो दुनिया का ऐशो आराम मगर 

खुद को पाना भी तो बहुत जरूरी है।

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