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AK 47 - एक मिनट में 600 फायर - निखिलेश मिश्रा

Saturday, August 14, 2021

/ by Dr Pradeep Dwivedi

निखिलेश मिश्रा, लखनऊ

पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी अधिकारी


AK 47 - एक मिनट में 600 फायर, 2.5 सेकंड में रिलोड, 710 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार और 800 मीटर की विजिबिलिटी

एक से एक एडवांस वेपन ईजाद होने के बावजूद भी आज 106 देशों की सेना और दुनियां भर के आतंकवादियों की पहली पसंद होती है AK-47 नाम का हथियार। 

आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि AK-47 का ब्लू प्रिंट किसी प्रयोगशाला और वैज्ञानिकों के ग्रुप्स के बीच तैयार नहीं हुआ था, बल्कि अस्पताल के बेड पर पड़े एक बीमार व्यक्ति के दिमाग में तैयार हुआ था। 

कई सेनाओं के लिए एक स्तंभ का काम करने वाली AK-47 का आविष्कार मिखाइल कलाश्निकोव ने किया था। मिखाइल कलाश्निकोव के नाम से ही इस स्वचालित रायफल का नाम रखा गया है। अब तक लगभग 200 से ज्यादा वैरिएंट तैयार किये जा चुके हैं।

मिखाइल कलाश्निकोव का जन्म 10 नवम्बर 1919 को रूस (USSR) में अटलाई प्रांत के कुर्या गांव में एक बड़े परिवार में हुआ था। 1938 में विश्व युद्ध की आशंका के चलते उन्हें “लाल-सेना” से बुलावा आ गया, और कीयेव के टैंक मेकेनिकल स्कूल में, उन्होंने काम किया और इसी दौरान उनका तकनीकी कौशल उभरने लगा था। साल 1941  में एक भीषण युद्ध के दौरान कलाश्निकोव बुरी तरह घायल हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अस्पताल के बिस्तर पर 6 महीनों बिताए पर उन 6 महीनों में कलाश्निकोव ने अपने दिमाग में एक सब-मशीनगन का रफ डिजाइन तैयार कर लिया था। वह वापस अपने डिपो में लौटे और उन्होंने उसे अपने नेताओं और कामरेडों की मदद से इसे मूर्तरूप दे दिया।

जून 1942 में कलाश्निकोव की सब-मशीनगन वर्कशॉप में तैयार हो चुकी थी, इस डिजाइन को रक्षा अकादमी में भेजा गया। हालांकि इतनी आसानी से तकनीकी लोगों और वैज्ञानिकों ने कलाश्निकोव पर भरोसा नहीं किया और सन 1942 के अंत तक वे सेंट्रल रिसर्च ऑर्डिनेंस डिरेक्टोरेट में ही काम पर लगे रहे। 

1944 में कलाश्निकोव ने एक “सेल्फ़ लोडिंग कार्बाइन” का डिजाइन तैयार किया, 1946 में इसके विभिन्न टेस्ट किए गए और अन्ततः 1949 में इसे सेना में शामिल कर लिया गया। इसके लिए उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया।

इसके शुरुआती मॉडल में कई दिक्कतें थीं, लेकिन साल 1947 में मिखाइल ने आवटोमैट कलाशनिकोवा मॉडल को पूरा कर लिया। बोलने में मुश्किल होने की वजह से इसे संक्षिप्त कर AK- 47 कहा जाने लगा।

AK-47 वह हथियार है, जिससे पानी के अंदर से हमला करने पर भी गोली सीधे जाती है। गोलियों की गति इतनी तेज होती है, कि पानी का घर्षण भी उसे कम नहीं कर पाता है। यह बेहद सिम्पल राइफल है और बहुत आसानी से इसका निर्माण किया जा सकता है, इसलिए दुनिया में यह एक मात्र ऐसी राइफल है, जिसकी सबसे ज्यादा कॉपी की गई है। 

यह एक मात्र ऐसा हथियार है, जो हर प्रकार के पर्यावरण में चलाया जा सकता है और एक मिनट के अंदर इसे साफ किया जा सकता है। इसके सबसे खास बात है इसका मेटेरियल जिसके कारण इसमे अन्य वीपेन की भांति सर्दी और गर्मी के मौसम का फर्क नही पड़ता यानी सिकुड़ती या बढ़ती नही है।

इस राइफल में पहले की सभी राइफल तकनीकों का मिश्रण है। अगर विस्तार से देखें तो इसके लॉकिंग डिजाइन को एम-1 ग्रांड राइफल से लिया गया है। इसका ट्रिगर और सेफ्टी लोक रेमिंगटन राइफल मॉडल 8 से लिया गया है, जबकि गैस सिस्टम और बाहरी डिजाइन एस.टी.जी.44 से लिया गया है।

कुल मिलाकर यह सदा बहार वेपन है। जिसके पास है वह अकेला सौ पर भारी है। यही इसकी लोकप्रियता का मूल है।


नोट- सुरक्षात्मक कारणों से कुछ तकनीकी तथ्य मैंने पोस्ट पर नही लिखे हैं।

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