इस बात पर हो रहा विरोध
डीजीपी कार्यालय से जारी किए गए आदेश में यह लिखा है कि मोहर्रम के अवसर पर शिया समुदाय के लोगों द्वारा तबर्रा पढ़े जाने पर सुन्नी समुदाय द्वारा कड़ी आपत्ति व्यक्त की जाती है। जो इसके प्रतिउत्तर में 'मदहे सहाबा' पढ़ते हैं। जिस पर शियाओं द्वारा आपत्ति की जाती है, शिया वर्ग के असामाजिक तत्वों द्वारा सार्वजनिक स्थानों, पतंगों एवं आवारा पशुओं पर तबर्रा लिखे जाने तथा देवबंदी अहले हदीस फिरकों के सुन्नियों के असामाजिक तत्वों द्वारा इन्ही तरीकों से अपने खलीफाओं के नाम लिखकर प्रदर्शित करने पर दोनों फिरकों के मध्य व्याप्त कटुता के कारण विवाद संभावित रहता है।
'हिंदू-मुस्लिम का दंगा भड़काना चाहती है पुलिस'
शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि गाइडलाइन में शिया को अपमानित किया गया है। झूठी और मनगढंत बाते उसमे की गई है कि शिया मोहर्रम में तबर्रा पढ़ते हैं जिससे झगड़ा होता है जबकि कोई तबर्रा नहीं पढ़ा जाता है 25 साल से शिया- सुन्नी के बीच कोई झगड़ा नहीं हुआ। जानवरों पर तबर्रा लिखने वाली बात बिल्कुल झूठ है। मोहर्रम के जरिये हिन्दू- मुस्लिम का दंगा फैलाना चाहते हैं। ये यूपी डीजीपी की तरफ से जारी की गई गाइड लाइन नहीं लग रही। बल्कि ऐसा लगता है जैसे किसी अलकायदा के मुल्ला ने बयान दिया हो। जब तक ये बयान वापस नहीं होता तब तक हम लोग इनकी पीस मीटिंग को बॉयकाट करते हैं। इसको लेकर हम मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक जाएंगे।
डीजीपी कार्यालय से जारी किए गए आदेश में यह लिखा है कि मोहर्रम के अवसर पर शिया समुदाय के लोगों द्वारा तबर्रा पढ़े जाने पर सुन्नी समुदाय द्वारा कड़ी आपत्ति व्यक्त की जाती है। जो इसके प्रतिउत्तर में 'मदहे सहाबा' पढ़ते हैं। जिस पर शियाओं द्वारा आपत्ति की जाती है, शिया वर्ग के असामाजिक तत्वों द्वारा सार्वजनिक स्थानों, पतंगों एवं आवारा पशुओं पर तबर्रा लिखे जाने तथा देवबंदी अहले हदीस फिरकों के सुन्नियों के असामाजिक तत्वों द्वारा इन्ही तरीकों से अपने खलीफाओं के नाम लिखकर प्रदर्शित करने पर दोनों फिरकों के मध्य व्याप्त कटुता के कारण विवाद संभावित रहता है।
'हिंदू-मुस्लिम का दंगा भड़काना चाहती है पुलिस'
शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि गाइडलाइन में शिया को अपमानित किया गया है। झूठी और मनगढंत बाते उसमे की गई है कि शिया मोहर्रम में तबर्रा पढ़ते हैं जिससे झगड़ा होता है जबकि कोई तबर्रा नहीं पढ़ा जाता है 25 साल से शिया- सुन्नी के बीच कोई झगड़ा नहीं हुआ। जानवरों पर तबर्रा लिखने वाली बात बिल्कुल झूठ है। मोहर्रम के जरिये हिन्दू- मुस्लिम का दंगा फैलाना चाहते हैं। ये यूपी डीजीपी की तरफ से जारी की गई गाइड लाइन नहीं लग रही। बल्कि ऐसा लगता है जैसे किसी अलकायदा के मुल्ला ने बयान दिया हो। जब तक ये बयान वापस नहीं होता तब तक हम लोग इनकी पीस मीटिंग को बॉयकाट करते हैं। इसको लेकर हम मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक जाएंगे।
मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने सख्त नाराजगी जताते हुये कहा कि गाइडलाइन में बीते 40 साल पुरानी बातों को खोद कर शिया समुदाय पर गलत इल्जाम लगाए गए हैं। इसके जरिये शिया समुदाय के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है। मौलाना ने डीजीपी से इस पत्र को वापस लेने और संबन्धित लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की। उन्होंने इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर प्रदेश का माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने पत्र वापस न लेने पर तमाम उलमा और संगठनों से जिला और शहर स्तर पर होने वाले अमन बैठकों का बहिष्कार करने की अपील की है।
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