इंडेविन न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ।
लखनऊ की अदबी संस्था फख्र-ए-हिन्दोस्तान की ओर से मुशायरा व कवि सम्मेलन माधव टावर आलमबाग में मशहूर शायर मख्मूर काकोरवी की अद्यक्षता व आसिम काकोरवी के संचालन में आयोजित हुआ जिसमें सम्मानित अतिथि ज़ाहिद आज़ाद झंडा नगरी (नेपाल) ,श्रीमती पूजा खत्री व डा. असलम मुर्तुज़ा ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई इस मौके पर तीनों सम्मानित अतिथियों को शाल और मोमेंटो से सम्मानित किया गया मुख्य अतिथि के तौर पर सलीम ताबिश व रुस्तम इलाहाबादी भी उपस्थित रहे मुशायरे के अद्यक्ष डा.मख्मूर काकोरवी ने बयान में नवजवान शायरों को उर्दू पढ़ने और मशहूर शायरों की किताबों को पढ़ने का मशवरा दिया उन्होंने और कहा कि नए शायरों को अपनी रचना व ग़ज़ले सही कराने निखारने और सँवारने के लिए उस्ताद शायरों से शिक्षा लेने की ज़रुरत है बिना किसी गुरु के कोई हुनर व फ़न हासिल नहीं कर सकता।
सम्मानित अतिथि ज़ाहिद आज़ाद झंडा नगरी ने फख्र-ए-हिंदुस्तान की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस इवेंट के होने से न सिर्फ उर्दू हिंदी में दूरी कम हो रही है बल्कि नवजवानों को अपने खयालात का इज़हार करने का मौका भी मिल रहा है।
पसंद किए जाने वाले शेर पढ़ने वालों के लिए पेश है
मै भी सूरज की तरह शाम को ढल जाऊंगा
गाज़ा-ए-ग़म तेरे रुखसार पे मिल जाऊंगा
डा. मख्मूर काकोरवी
हज़ारों खूबियां उनमे तो है मगर ज़ाहिद
कभी भी दिल में वो पास-ए-वफ़ा नहीं रखते
ज़ाहिद आज़ाद झंडा नगरी (नेपाल)
खुद बढ़ के मदद अपनी जो क़ौम नहीं करती
अल्लाह भी फिर उसकी इमदाद नहीं करता
सलीम ताबिश
जो गुनाहगार थे वो बख्शे गए
बेगुनाहों को दार पर देखा
रुस्तम इलाहबादी
हमारे दिल की इस दुनिया में आसिम
जो मर जाये वो फिर मरता नहीं है
आसिम काकोरवी
जम्हूरी मुल्क है ऐसा हर एक शै से नुमाया हो
लहू हरगिज़ शहीदों का न एक क़तरा भी ज़ाया हो
शान काकोरवी
तेरी यादें शब-ए-फुरकत जो तड़पती रही हमको
लगी दिल की न अश्क़ों से बुझा लेते तो क्या करते
आरिफ अल्वी
उम्रें भी हम सभी की मेरी माँ तुझे लगे
हज का सवाब हम को ज़ियारत है तेरी माँ
अलीशा मेराज खान सीतापुरी
शोहरत मिले तो याद रखना अपना माज़ी भी
तू एक मोमिन था नेक दिल था और नमाज़ी भी
हमीद उल्ला अंसारी
इसके साथ ही और भी शायर शमशाद अहमद, स्मिता मिश्रा ,वरुन ,खालिद लखनवी , मो. ताल्हा, मोहित इंडिया , अल्तमश लखनवी ,कुनाल दीक्षित आदि ने अपनी ग़ज़लों से इस महफ़िल में चार चाँद लगाये।
आखिर में कन्वेनर मुशायरा आरिफ अल्वी ने अपने बयान में सभी उपस्थित शायरों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि फख्र-ए-हिन्दोस्तान को पूरे देश में एक अलग पहचान दिलाना हम सब की ज़िमनेदारी है ज़रुरत पड़ी तो लखनऊ के साथ साथ दूसरे राज्यों और शहरो में भी इस संस्था के अंतर गत और भी मुशायरे और कवी सम्मेलन की महफ़िलें सजाते रहेंगे।