गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ भारत का गतिरोध जारी है। ऐसे में 22 सितंबर को थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने गतिरोध पर कहा था कि सेना उत्तरी सीमा पर चुनौतियों से इसलिए निपट पाई कि युद्ध जैसी परिस्थितियों का पहले से अभ्यास किया गया था।
सेना प्रमुख ने यह भी कहा था कि पूर्वी लद्दाख में स्थिति पर ध्यान केंद्रित करते हुए सेना ने भारत की बाकी सीमाओं की उपेक्षा नहीं की और किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पश्चिमी और पूर्वी सीमा पर पर्याप्त मात्रा में बलों की तैनाती की गई थी। उन्होंने कहा था, “उत्तरी सीमा पर स्थिति जैसे ही बिगड़ी, हमारे सैनिक उससे निपटने के लिए तैयार थे। उन्हें अपने नेतृत्व पर पूरा भरोसा था। वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उपलब्ध संसाधनों के साथ सभी चुनौतियों और दिक्कतों का सामना करने को तैयार थे।”
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