लखनऊ
कोयले की किल्लत के चलते यूपी में बिजली संकट और गहराया गया है। मांग के मुकाबले उपलब्धता कम होने से गांवों में भारी बिजली कटौती हो रही है। तहसील मुख्यालयों को भी तय शिड्यूल से कम आपूर्ति हो रही है। बिजलीघरों में कोयले का भंडार काफी कम बचा है। कोयले की आपूर्ति जल्द ही सामान्य न हुई तो पूरा प्रदेश बिजली संकट की चपेट में आ सकता है।
यूपी में बिजली व्यवस्था का दारोमदार राज्य के अपने चार बिजलीघरों के अलावा निजी क्षेत्र के आठ और एनटीपीसी के करीब डेढ़ दर्जन बिजलीघरों से मिलने वाली बिजली पर है। कोयले की कमी से लगभग 6873 मेगावाट क्षमता की इकाइयां या तो बंद हुई हैं या उनके उत्पादन में कमी करनी पड़ी है। इससे प्रदेश में बिजली की उपलब्धता घट गई है।
यूपी में बिजली की मांग 17000 मेगावाट के आसपास बनी हुई है, जबकि उपलब्धता 15000-16000 मेगावाट ही है। ऐसे में 2000 मेगावाट तक की कटौती करनी पड़ रही है। इसके चलते गांवों को 18 घंटे के बजाय 11 घंटे, तहसीलों को 21.30 घंटे के बजाय करीब 17 घंटे ही आपूर्ति हो पा रही है। अभियंताओं का कहना है कि अगर यही हालात रहे तो जल्द ही शहरों में भी कटौती शुरू हो सकती है।