वाराणसी।
कोरोना टीकाकरण को लेकर स्वास्थ्य विभाग की भारी लापरवाही सामने आयी है। जितनी वैक्सीन लगी नहीं, उससे कहीं ज्यादा सर्टिफिकेट जारी हो गए हैं। वैक्सीन और सर्टिफिकेट में 1.07 लाख का अंतर है। यह फर्जीवाड़ा विभाग के लखनऊ मुख्यालय पर हुई ऑडिट में पकड़ा गया। यह गड़बड़ी सिर्फ बनारस में नहीं बल्कि गाजीपुर, सोनभद्र, मऊ, जौनपुर, प्रतापगढ़ और बहराइच जैसे जिलों में भी हुई है। शासन ने इस संबंध में सीएमओ से जवाब-तलब किया है। इस प्रकरण से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर 14 दिसम्बर तक 40.99 लाख डोज वैक्सीन लगने का आंकड़ा दर्ज है जबकि स्टॉक से 40.92 लाख डोज वैक्सीन ही खर्च हुई है। यानी 1.07 लाख डोज वैक्सीन की उपयोग नहीं हुआ और सर्टिफिकेट जारी हो गया। आशंका जतायी जा रही है कि बिना वैक्सीन लगे ही सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है। विगत दिनों में हरहुआ महिला अस्पताल सहित कुछ केंद्रों पर स्थानीय लोगों ने भी इस तरह का आरोप लगाया था। तब अधिकारियों ने इसे अनसुना कर दिया। लखनऊ की ऑडिट के बाद अब स्थानीय स्तर पर भी वैक्सीन की खपत और जारी सर्टिफिकेट का मिलान हो रहा है।
यह गड़बड़ी करने वाले जिलों में प्रतापगढ़ सबसे आगे है। मऊ दूसरे, बहराइच तीसरे, सोनभद्र चौथे और वाराणसी पांचवें स्थान पर है। बनारस मंडल में गाजीपुर और जौनपुर में भी करीब 30-30 हजार डोज का अंतर आ रहा है।