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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ऑफलाइन परीक्षा के विरोध में उतरे छात्र

प्रयागराज

कभी पूरब के ऑक्सफोर्ड के नाम से जाना जाने वाला इलाहाबाद विश्वविद्यालय देश ही नहीं दुनियाभर में मशहूर रहा है। धीरे-धीरे विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी हुई और शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतरती गई। अब यहां पढ़ाई कम लड़ाई, हंगामा और नारेबाजी ज्यादा होती है।

इसी कड़ी में शुक्रवार को विश्वविद्यालय के छात्रों ने पेट्रोल छिड़ककर आत्मदाह की कोशिश किया। हंगामा बढ़ता देख कई थाने की पुलिस फोर्स बुला ली गई। फिलहाल छात्रों को पेट्रोल छिड़कने से पहले ही पुलिस ने पकड़ लिया। विश्वविद्यालय परिसर में हंगामा जारी है। हंगामे को देखते हुए मौके पर फोर्स तैनात कर दी गई है। मौके पर जिलाधिकारी संजय खत्री और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार भी पहुंच गए हैं। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी बुला ली गई हैं। कैंपस में तनाव व्याप्त है।

ऑफलाइन परीक्षा का हो रहा विरोध

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में वार्षिक परीक्षाओं को ऑफलाइन मोड में कराने का विरोध चल रहा है। इस विरोध के चलते कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने एक हाई पावर कमेटी का गठन किया था। यह हाई पावर कमेटी छात्रों के हंगामे के बाद गठित की गई थी, जिसको यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वह छात्रों से उनकी ग्रीवांस सुनेगी।

छात्रों से वार्तालाप करने के बाद परीक्षा ऑफलाइन मोड में कराई जाएगी या ऑनलाइन मोड में इसका निर्णय लेगी। जांच कमेटी ने गुरुवार को कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव को अपनी रिपोर्ट पेश कर दी थी। इस रिपोर्ट में वार्षिक परीक्षा मई 2022 में कराने का निर्णय लिया गया है।

जांच कमेटी ने यह भी कहा है कि परीक्षा केवल ऑफलाइन मोड में ही कराई जाएगी । यह निर्णय छात्रों के भविष्य और हित को देखते हुए लिया गया है। ऑनलाइन मोड में परीक्षा नहीं कराई जाएगी।

20000 स्टूडेंट्स ने परीक्षा ऑनलाइन मोड में कराने को लिख था पत्र

इधर, छात्रों ने ऑफलाइन परीक्षा के निर्णय का विरोध शुरू कर दिया। शुक्रवार की सुबह से ही बड़ी संख्या में छात्र इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कुलपति कार्यालय के बाहर एकत्र हो गए। इसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया । छात्रों का कहना है कि हाई पावर कमेटी को 20000 स्टूडेंट्स ने परीक्षा ऑनलाइन मोड में कराने के लिए प्रत्यावेदन दिया था।

20000 छात्रों की संख्या इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुल संख्या का लगभग 40% है। जब 40% स्टूडेंट ऑनलाइन परीक्षा कराने के पक्ष में है तो फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऑनलाइन परीक्षा क्यों नहीं कराई। अगर विश्वविद्यालय को ऑफलाइन परीक्षा कराना ही था तो ऑनलाइन परीक्षा का भी विकल्प देना ही चाहिए था।

छात्र आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अजय यादव सम्राट ने दैनिक भास्कर से कहा कि हम आफलाइन परीक्षा का विरोध करते रहेंगे। कुलपति की तानाशाही नहीं चलेगी। छात्रों का पक्ष भी विश्वविद्यालय प्रशासन को सुनना ही पड़ेगा। यह लड़ाई जारी रहेगी।




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