अमेठी।
संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती धूमधाम से मनाई गई। लोगों द्वारा अंबेडकर तिराहे पर राहगीरों को जलपान भी कराया गया समाजवादी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आवाहन पर अमेठी में सपा कार्यकर्ताओं ने जगह जगह पर अंबेडकर जयंती मनाई तथा उनके सिद्धांतों पर चलने के लिए लोगों को प्रेरित किया । अमेठी की विधायिका महाराजी प्रजापति ने अपने छोटे पुत्र अनुराग व अन्य कार्यकर्ताओं के साथ डॉ आंबेडकर की जयंती मनाई । उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माता, आधुनिक भारत के शिल्पकार, शोषितों-वंचितों के रक्षक, महिला बंधन मुक्तिदाता, ज्ञान के प्रतीक, भारत रत्न बाबासाहब डॉ.भीमराव_अंबेडकर जी की जयंती पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई व मंगलमयी शुभकामनाएँ दी।
बाबा साहेब ने देश के संविधान के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया। कमजोर और पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए पूरा जीवन संघर्ष किया। डॉ. अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत और समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता थे। अंबेडकर समाज के कमजोर, मजदूर, महिलाओं आदि को शिक्षा के जरिए सशक्त बनाना चाहते थे। इसी कारण डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती को भारत में समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाबा साहेब के सपनों को साकार करने के लिए अभी हम सब को मिल कर संघर्ष करने की जरूरत है।
आज इस समारोह पर बड़ी संख्या में आए आप सभी को देखकर मुझे बहुत ही प्रसन्नता महसूस हो रही है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भीमराव अम्बेडकर को भारतीय संविधान के निर्माता के रुप में भी जाना जाता है। अम्बेडकर जी 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश राज्य के माहो (युद्ध के सैन्य मुख्यालय) में पैदा हुए थे, इन्होंने दलितो और अछूतो के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। वह एक महान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे, तो आईये हम ऐसे महान व्यक्ति को श्रद्धांजलि अर्पित करने से पहले उनके जीवन और उपलब्धियों के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करे। लोगों को संबोधित करते हुए अनुराग प्रजापति उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका में कानून का अध्ययन करने के बाद, वह एक विद्वान के रूप में भारत वापस आए और अपने देश के संविधान निर्माण में अपना योगदान दिया। उन्होंने राजनीतिक और नागरिक अधिकारों के साथ-साथ भारत में अस्पृश्यों के सामाजिक आजादी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अनेक पत्रिकाएं भी प्रकाशित की। उन्होंने छुआछूत के साथ-साथ जाति व्यवस्था को भी समाप्त करने में अपना योगदान दिया। पूरा देश उनके अतुलनीय कार्य और दलित बौद्ध आंदोलन की शुरूआत करने के लिए याद करता है। भारतीय संविधान के वास्तुकार होने के अलावा, उन्होंने भारतीय कानून मंत्री का पद भी संभाला।
भारत में उनके सर्वोच्च उपलब्धियों के लिए वर्ष 1990 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 14 अप्रैल, उनके जन्मदिन को पुरे देश भर में अम्बेडकर जयंती या भीम जयंती के रूप में सार्वजनिक अवकाश रुप में मनाया जाता है। इसके अलावा दिल्ली के 26 अलीपुर रोड स्थित उनके घर पर भी उनकी स्मृति स्मारक बनावायी गई है।
वास्तव में, इस दिन उस महान व्यक्ति की याद में विभिन्न सरकारी, गैर-सरकारी तथा दलित संगठनों द्वारा रैली और सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे विभिन्न गतिविधियां व्यवस्थित कि जाती हैं। इस दिन अलग-अलग राज्यों तथा राजधानियों में सामूहिक कार्यक्रम, भाषण कार्यक्रम और दलित मेला आयोजित किये जाते हैं। दिलचस्प बात यह है वहां खासकर पुस्तकों को बेचने के लिए सैकड़ों और हजारों किताबों की दुकाने लगायी जाती है। उन्होंने अपने समर्थकों को "शिक्षित बनो, संगठित हो, संघर्ष करो" का संदेश दिया था।
तो आइए, हम सब एक साथ मिलकर इस जयंती को हमारे प्रार्थना और समर्पण के द्वारा और भी विशेष बनाएं। महान भारतीय राजनीतिक नेता, इतिहासकार, कानूनविद, दार्शनिक, मानवविज्ञानी, अर्थशास्त्री, व्याख्याता, संपादक, शिक्षक, क्रांतिकारी, प्रभावशाली लेखक और बौद्ध पुनरुत्थानवादी के रूप में उनकी उपलब्धियों और योगदान की प्रशंसा करने के लिए हमारे पास शब्द कम पड़ जाएंगे।उन्हें दिल से सम्मान और आदर देने का एकमात्र तरीका यह है कि हम उनके बताये गये मार्गो और सिद्धांतो का पालन करे। उन्होंने भारत में फैले जाति, वर्ग और लिंग-भेद पर विचार किया तथा लोगों को अपने रंग, जाति और धर्म के भेदभाव के बावजूद स्वतंत्र रूप से जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।हम सब मिलकर प्रतिज्ञा करें की हम सदैव उनके सिद्धांतों का पालन करेंगे और हमारे देश को सभी के लिए एक बेहतर स्थान बनाएंगे। इस अवसर पर अमेठी विधायक महाराजी देवी प्रजापति ,अनुराग प्रजापति सहित सैकड़ों क्षेत्र वासी मौजूद रहे।