जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कहा कि देश में नफरत का माहौल बनाया गया है जो विभिन्न समुदायों के बीच दरार पैदा कर रहा है और उन्होंने इस प्रवृत्ति को रोकने के लिये प्रयासों का आह्वान किया। पीएजीडी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहीं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस की सरकारों ने 2010 और 2016 में घाटी में जब अशांति चरम पर थी तब भी कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा सुनिश्चित की। महबूबा ने कहा कि यहां तक कि 2010 और 2016 में अशांति चरम पर रहने के दौरान भी किसी कश्मीरी पंडित की हत्या नहीं हुई। लेकिन नफरत का जो माहौल उन्होंने बनाया है, खासकर ‘द कश्मीर फाइल्स' फिल्म के बाद, एक विमर्श के जरिए दिमाग में जहर घोला जा रहा है।
मुजफ्फर शाह ने उपराज्यपाल से हमारी बातचीत के दौरान उनसे कहा कि टीवी चैनलों पर लगातार चार घंटे तक हिंदू-मुस्लिम की बहस इसे और हवा दे रही है। इसका सीधा असर जम्मू-कश्मीर के लोगों पर भी पड़ता है क्योंकि जब आप मुसलमानों को निशाना बनाते हैं तो यह खाई को चौड़ा करता है। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा को उन मस्जिदों की एक सूची सौंपनी चाहिए जिन्हें वो लेना चाहती हैं।
उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया और अब वे वहां कुछ और बनाना चाहते हैं…मस्जिदों पर ये दावे सिर्फ नफरत को भड़काने के लिये हैं। महबूबा ने हैरानी जताते हुए पूछा कि क्या इन मस्जिदों को सौंपे जाने के बाद सरकार विकास के एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करेगी, जैसे सालाना 2 करोड़ नौकरियां प्रदान करना और ईंधन की कीमत को 2014 से पहले के स्तर पर लाना।
उन्होंने कहा कि मैंने यह पहले भी कहा है। हम मुसलमानों के लिए अल्लाह वहां हैं जहां हम सजदा करते हैं। महबूबा ने कहा कि भाजपा और अन्य दक्षिणपंथी संगठन मुगलों द्वारा बनाई गई संपत्ति के पीछे पड़े हैं। उन्होंने कहा कि क्या वे सब गिराएंगे? ताजमहल, कुतुब मीनार, लाल किला…. इन सभी का निर्माण मुगलों ने किया था। हमारे देश में 50 प्रतिशत पर्यटक इन ऐतिहासिक स्थानों को देखने आते हैं।