इंडेविन न्यूज नेटवर्क
सुलतानपुर। चौदह वर्षीय किशोरी को शौच के लिए गये होने के दौरान हबस का शिकार बनाने के चलते प्रेग्नेंट होने के मामले में घिनौनी वारदात को अंजाम देने के आरोपी महेंद्र प्रताप को स्पेशल जज पाक्सो एक्ट की अदालत ने दोषी ठहराया है। स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने दोषी को 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 51 हजार रूपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। वहीं इस रेप की घटना में शामिल दूसरे आरोपी किशोर के खिलाफ किशोर न्यायालय में ट्रायल चल रहा है। मालूम हो कि 14 वर्षीय किशोरी की मां ने 18 सितम्बर 2020 को जामो थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप के मुताबिक उसकी बेटी एफआईआर के करीब चार माह पहले शौच के लिए निकली थी ,तभी जामो थाना क्षेत्र के गौरा गांव निवासी आरोपी महेंद्र प्रताप एवं सह आरोपी किशोर ने बारी-बारी किशोरी के साथ दुष्कर्म किया। आरोपियों ने पीड़िता के साथ इस घिनौनी वारदात को अंजाम देने के बाद कहीं शिकायत करने पर उसके पूरे परिवार को जान से मार डालने की धमकी भी दी थी।
आरोपियों के डराने की वजह से पीड़िता ने कहीं मुंह भी नहीं खोला और इस राज को दफ्न किये रखा। लेकिन इस घटना के करीब चार माह बाद पीड़िता को अचानक तेज दर्द उठा तो परिजनों ने जांच कराई तो पता चला कि वह रेप का शिकार होने के चलते प्रेग्नेंट हो गई है,तब पीड़िता की मां ने जामो थाने में मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले में आरोपी महेंद्र प्रताप को जेल भेजने के बाद उसके खिलाफ पाक्सो एक्ट की स्पेशल कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल हुआ ,जबकि दूसरे आरोपी के किशोर होने के चलते उसके विरुद्ध किशोर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल हुआ और वहीं पर उसका विचारण चल रहा है।
वहीं मामले में आरोपी महेंद्र प्रताप के खिलाफ 12 फरवरी 2021 को चार्ज फ्रेम होने के बाद स्पेशल कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ। ट्रायल के दौरान बचाव पक्ष ने अपने साक्ष्यों एवं तर्कों को प्रस्तुत कर आरोपी महेंद्र को बेकसूर बताया। वहीं अभियोजन पक्ष से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक विवेक कुमार सिंह ने अभियोजन गवाहों एवं अन्य साक्ष्यों को प्रस्तुत करते हुए आरोपी महेंद्र को ही घटना का जिम्मेदार ठहराया और उसे दोषी ठहराकर कड़ी से कड़ी सजा से दण्डित किये जाने की मांग की।
उभय पक्षों को सुनने के पश्चात स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट पवन कुमार शर्मा की अदालत ने आरोपी महेंद्र प्रताप को दोषी ठहराते हुए उसे 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा भुगतने एवं 51 हजार रूपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। अदालत ने अर्थदंड के धनराशि की 75 प्रतिशत रकम पीड़ित पक्ष को देने का आदेश पारित किया है। कोर्ट की सक्रियता से मामले का विचारण तेजी से हुआ और चार्ज बनने के बाद मात्र एक वर्ष चार माह 16 दिन में केस का ट्रायल पूरा हो गया, नतीजतन दोषी महेंद्र को उसकी करनी की सजा मिल गई और पीड़ित पक्ष को शीघ्र न्याय मिल पाया। पीड़ित पक्ष को अब इंतजार है कि जल्द ही सह आरोपी किशोर को भी उसकी करनी की सजा मिले।