इंडेविन टाइम्स
सुल्तानपुर। जिले के नगर कोतवाली थाना गोसाईगंज क्षेत्र के ग्राम तेयरी मछरौली का एक मामला सामने आया है, जहां पीड़ित नसीर अहमद ने अपनी पत्नी अफसाना प्रवीण को प्रसव पीड़ा के कारण डिलीवरी के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया। वहां मौजूद डॉक्टर की लापरवाही के कारण जच्चा-बच्चा की जान खतरे में पड़ गई। पहले ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने कहा कि बच्चा नार्मल हो जाएगा, यह कहकर एडमिट कर लिया। 2 दिन तक अस्पताल में एडमिट रखने के बाद 17 तारीख को दवाइयां, इंजेक्शन को नर्स द्वारा उठा लिया गया, पीड़ित ने नर्स का नाम रुमाली बताया है। पीड़ित ने बताया कि दूसरे दिन नर्स द्वारा पीड़ित को धमकी दी गई कि मैं रोज ड्यूटी पर ₹20 लेकर आती हूं और ₹ 20000 से ₹30000 प्रतिदिन घर लेकर जाती हूँ, अभी तुम हमको जानते नहीं हो अगर तुमने यह बात किसी को कही तो इसका अंजाम तुम्हें और तुम्हारी पत्नी दोनों को भुगतना पड़ेगा। जिसके बाद पीड़ित ने डर के कारण कुछ नहीं कहा। उसके बाद 18 जून को ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने ऑपरेशन करके बच्चा निकालने को कहा और ब्लड सैंपल के बाद ऑपरेशन से संबंधित सभी फाइलें और जांचे तैयार की। दिनांक 19 जून को सुबह 9:30 बजे के करीब ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर आस्था त्रिपाठी डिलीवरी कराने ले गयी। जब बच्चा आधा बाहर आ गया तो डॉक्टर आस्था त्रिपाठी ने पीड़ित को बोला कि बच्चा उल्टा है, 25000 दीजिए तभी हम बच्चा बाहर निकालेंगे। पैसे का व्यवस्था न होने पर डॉक्टर ने पीड़ित व्यक्ति की एक न सुनी, जिसके बाद पीड़ित की पत्नी को लखनऊ के लिए रेफर कर दिया गया। उसके बाद पीड़ित ने सुल्तानपुर के हंसा हॉस्पिटल की डॉक्टर किरण से बातचीत कर वहां एडमिट कराया, उन्होंने बच्चे को ऑपरेशन करके बाहर निकाला और पीड़ित की पत्नी की जान बच सकी, परंतु बच्चा नहीं बच पाया, जिसका वजन उस समय तकरीबन 4 किलो 600 ग्राम बताया गया। पीड़ित ने कहा कि जिला अस्पताल में डॉक्टर आस्था त्रिपाठी व स्टाफ नर्स की लापरवाही के कारण ऐसी घटना घटित हुई। जिला अस्पताल की डॉक्टर आस्था त्रिपाठी व स्टाफ नर्स ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही ढंग से नहीं किया। डॉक्टरों व स्टाफ नर्सों की लापरवाही के कारण आए दिन जिला अस्पताल में ऐसे मामले आते रहते हैं। पीड़ित ने स्वास्थ्य मंत्री, राज्य महिला आयोग, जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, राज्य मानवाधिकार को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है। वही आज पीड़ित ने अपना बयान जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी वीके सोनकर को दिया। पीड़ित ने बयान देते हुए कहा कि अगर उक्त मामले में कार्यवाही नही हुई तो वह भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन पर बैठेगा। यहां तक कहा कि अगर मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं जिला अस्पताल में सबके सामने आत्मदाह कर लूंगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार की ओर से क्या कार्यवाही होती है। एक तरफ राज्य के मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, उप मुख्यमंत्री द्वारा राज्य को स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छी उपलब्धियां हासिल करने के लिए कार्य किए जा रहे हैं, वहीं सुल्तानपुर के जिला अस्पताल में ऐसी बातें सामने आने से उनके मंसूबों पर पानी फिरता दिख रहा है।