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जमीन देने का झांसा देकर अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर कराये 13 लाख

० विक्रेता वादे से मुकरा, नहीं कर रहा बैनामा करोड़पति व्यवसायी

हरिकेश यादव -संवाददाता (इंडेविन टाइम्स)

गौरीगंज,अमेठी। 

जमीन देने का झांसा देकर गौरीगंज कस्बे के एक करोड़पति व्यवसायी द्वारा एक रिटायर्ड प्रधानाध्यापक को  दो माह से भी ज्यादा समय से परेशान करने का मामला प्रकाश में आया है। मामला है कस्बा गौरीगंज के माधौपुर निवासी सुरेश कुमार सोनी और केपी सविता रिटायर्ड प्रधानाध्यापक निवासी कटरा लालगंज गौरीगंज के बीच का।

जानकारी के अनुसार रिटायर्ड प्रधानाध्यापक के०पी० सविता के आवास से लगी एक जमीन सुरेश कुमार की पत्नी निर्मला देवी के नाम दर्ज है। इसी का कुछ भाग 18/40 फीट लेने के लिए शिक्षक ने सुरेश से बात कर वैनामा लेने की बात तय की थी।पहले जमीन की कीमत बारह लाख तीस हजार तय हुई थी दोनों के बीच, बाद में सुरेश कुमार ने अपनी किसी खास आवश्यकता के चलते सत्तर हजार और उधार के रूप में दे देने के लिए कहा- रिटायर्ड प्रधानाध्यापक ने उसे मान लिया और तेरह लाख रुपये आर टी जी एस के माध्यम से निर्मला देवी पत्नी सुरेश कुमार के एच डी एफ सी खाता संख्या 4239 में एस बी आई शाखा गौरीगंज के अपने खाते से रिटायर्ड प्रधानाध्यापक से दिनांक 18-8-22 ट्रांसफर करा लिया। जब इतने रुपये मिल गये तो सुरेश कुमार सोनी द्वारा एक- एक हफ्ते  चंडीगढ़ जाने के नाम पर जमीन का बैनामा करने में टाल मटोल  की जाने लगी । वापस आने पर जमीन की रजिस्ट्री कर देने को कहने के बाद भी दो महीने से भी ज्यादा समय होने के बाद अभी तक रजिस्ट्री नहीं कराई। कई बार व्यवसायी का चंडीगढ़ आना-जाना हुआ और बीच बीच में दो-दो, तीन-तीन दिन सुरेश कुमार का रुकना भी गौरीगंज होता रहा, लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी से जमीन की रजिस्ट्री नहीं कराई। लगभग दो माह बीतने पर शिक्षक ने दौड़ लगानी शुरू किया, तो उसने ढाढ़स दिलाया कि अबकी बार चंडीगढ़ से वापस आने पर तुम्हारा काम करा दिया जायेगा, किंतु वैनामा लिखे जाने को अब भी टरकाया जा रहा है। रिटायर्ड प्रधानाध्यापक दौड़ लगाते-लगाते परेशान हो चुका है, लेकिन व्यवसायी सुरेश कुमार की बला से। एक दिन जानकारी के लिए शिक्षक की पत्नी  सुरेश कुमार के घर चली गई तो वो बहुत नाराज़ हुआ और कहा कि मेरे घर क्यों भेज दिया तुमने अपनी पत्नी को मेरे घर ? एक बार व्यवसायी से शिक्षक ने कहा कि सेठ जी मुझे अनावश्यक परेशान न करें,  साफ साफ बताइये कब रजिस्ट्री करायेंगे? तो कहा कि कल बताऊंगा, आजतक नहीं बताया । एक दिन कहा कि कल शाम को बताऊंगा, फिर भी नहीं बताया।

इस बात की शिकायत पीड़ित शिक्षक ने उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ शाखा जनपद अमेठी के अध्यक्ष अशोक कुमार मिश्र व जिला कोषाध्यक्ष शशांक शुक्ल से की, तो रिटायर्ड प्रधानाध्यापक के सहयोग के लिए व्यवसायी की दुकान /आफिस जाया गया, उनके साथ कुछ और शिक्षक भी थे। बातचीत के बाद कहा कि  ठीक है परसों रजिस्ट्री करा दी जायेगी, सीधे तहसील में मिलना। दस्तावेज लेखक दयाशंकर पांडेय औपचारिकताएं पूरी कर व्यवसायी की पत्नी के हस्ताक्षर/अंगूठा निशान लेने के लिए अपने एक सहयोगी को भेजा। फिर भी बिना हस्ताक्षर कराये ही लौट आये। बताया कि वो घर पर नहीं हैं। आश्चर्य है कि दस्तावेज लेखक द्वारा जमीन विक्रेता के घर जाकर हस्ताक्षर कराने का नियम कब से लागू हो गया है? कानून तो सब के लिए एक सा है, तो क्या बड़े लोगों के लिए कानून में कुछ अलग प्रावधान हैं-समझ से परे है? क्योंकि हर जमीन बेचने वाले के घर हस्ताक्षर लेने नहीं जाया जाता,बल्कि विक्रेता को उपस्थित रहकर क्रेता और गवाहों के सामने ही हस्ताक्षर कराया जाना जग जाहिर है। 

इस प्रकार टाल मटोल करते दो माह से भी ज्यादा बीत चुके हैं। अब ब्यवसायी कह रहा है कि तुम अठारह फीट बनी हुई चहारदीवारी गिराकर नींव खोद कर भर लीजिये, तब रजिस्ट्री करा दूंगा। तेरह लाख देने वाले क्रेता रिटायर शिक्षक ने कहा कि चहार दिवारी आपकी है इसलिए इसे आप गिरवा कर जमीन खाली कराइये। जब तक रजिस्ट्री नहीं होती मैं संबंधित जमीन पर कुछ भी नहीं करूंगा।तो अब बिक्रेता व्यवसायी ने क्रेता से कहा है कि  जहां शिकायत करना हो कर दो, जैसा मैं कहूँ तुम्हें वैसा ही करना पड़ेगा, नहीं तो रजिस्ट्री नहीं कराऊंगा।

ज्ञातव्य है कि इस संभावित रजिस्ट्री का ई स्टाम्प भी 61500 रुपये का निकल गया है और आंशिक लिखा पढ़ी भी हुई है, लेकिन विक्रेता व्यवसायी के दुराग्रह और मनमानेपन के चलते बैनामा अधर में लटका हुआ है।  यह भी कह रहा है कि मुझे तुमने तो पैसे दिया ही नहीं, मेरी पत्नी के खाते में पैसा जमा हुआ है- तो उनसे जाकर कहो, जबकि उन्होंने ही अपनी पत्नी के खाते में रुपये ट्रांसफर करवाये थे। 40 मिलजुमला कटरा लालगंज, गौरीगंज की जमीन व्यवसायी की पत्नी निर्मला देवी के नाम खतौनी में दर्ज है। 

अब, जबकि तयशुदा बात से विक्रेता मुकर रहा है तो प्रशासन द्वारा इस प्रकरण का किसी स्तर पर निस्तारण कराते हुए प्रभावित व पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाना ही चाहिए।

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