० फसल अवशेष जलाना मानवता के प्रति अपराध
० फसल अवशेष के प्रबंधन से खेत की बढेगी उर्वरा शक्ति व संतुलित रहेगा पर्यावरण
हरिकेश यादव -संवाददाता (इंडेविन टाइम्स)
अमेठी।
जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र ने आज कलेक्ट्रेट परिसर से किसान भाईयों द्वारा पराली न जलाए जाने के उद्देश्य से जागरूकता प्रचार वाहनों को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। यह वाहन क्षेत्रीय ग्रामीणजनों को पराली के सदुपयोग आदि की जानकारी भी उपलब्ध कराएंगे। इस दौरान जिलाधिकारी ने कृषकों से अपील करते हुए कहा है कि फसल कटाई के उपरान्त पराली तथा अन्य फसल अवशेषों को कदापि न जलायें। फसल अवशेष जलाना मानवता के प्रति अपराध है। जो प्रदूषण को प्रभावित करता है, वही मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी खत्म कर देता है, जिससे फसल उत्पादकता में कमी होती है और कृषि में लागत भी बढ जाती है। फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण संतुलन बिगडने से जन जीवन भी प्रभावित होने की संभावना रहती है। इस लिये हम सभी का कर्तव्य है कि पर्यावरण को बचाने तथा भावी पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराने के लिये किसी भी दशा में किसी भी स्तर के फसल अवशेष को न जलाये।
जिलाधिकारी ने यह भी कहा है कि फसल अवशेष जलाने से भूमि में प्राकृतिक रुप से मिलने वाले पोषण तत्वों की कमी सेे खेत अनुपजाऊ व बंजर हो जाते है। प्रदूषण के कारण विभिन्न बिमारियां, श्वास लेने मे कष्ट आदि उत्पन्न होने की प्रबल संभावना रहती है। इसलिये खेतो में पराली व अन्य फसल अवशेषों का प्रबंधन करे। मशीनो का प्रयोग कर उसे मिट्टी में पलट दें अथवा वेस्ट डिकम्पोजर प्रयोग कर खेत में ही सडा दें, जिससे जमीन की उर्वरकता बढे़ और खाद के लिये भी कम खर्च करना पडेगा।
जिलाधिकारी ने यह भी बताया है कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय तथा राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण के निर्देशों के क्रम में भी फसल अवशेष जलाना दण्डनीय अपराध है। दो एकड तक 2500 रुपये, 2 से 5 एकड तक 5 हजार रुपये और इससे अधिक रकबा की फसल जलाने पर 15 हजार रुपये के जुर्माने के साथ कारावास की सजा का भी प्राविधान है। इसके साथ ही फसल अवशेष जलाने पर शासन की तरफ से मिलने वाली विभिन्न योजनाओं के लाभ अनुदान व किसान सम्मान निधि से भी वंचित किया जा सकता है। उन्होने सभी किसान बन्धुओं से अपील के साथ कहा है कि पर्यावरण की सुरक्षा करें, खेतो की उर्वरा सुरक्षित रखे। फसल अवशेष को जलाकर मिट्टी केे सेहत, पोषक तत्वों, सूक्ष्म जीवों के साथ ही आने वाली पीढ़ी का भविष्य नष्ट न करें। जिलाधिकारी ने किसान भाइयों से अपील करते हुए कहा कि "पराली दो-खाद लो" अपने नजदीकी गौ आश्रय स्थल पर पराली देकर बदले में खाद ले सकते हैं।
इसी क्रम में उप निदेशक कृषि डा0 सत्येंद्र सिंह चौहान ने बताया कि जनपद के सभी विकास खंडों में आज प्रचार वाहन भेजा गया है, जिसके माध्यम से किसानों को जागरूक किया जाएगा। जनपद के सभी कम्बाइन हारवेस्टर मालिको को बिना सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम के कम्बाइन न चलाने के लिये निर्देश दिये गये है। इस अवसर पर जिला कृषि अधिकारी अखिलेश पांडेय सहित अन्य संबंधित मौजूद रहे।