लखनऊ।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने यूपी नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को रद्द करते हुए कहा कि ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले' के बिना सरकार ने ओबीसी आरक्षण को तैयार किया। कोर्ट ने कहा बिना ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले' के आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। वहीं कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष सरकार पर तंज कस रहा है।
समाजवादी पार्टी, कांग्रेस ने भाजपा को आरक्षण विरोधी करार दिया है। वहीं विपक्ष के तंज के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने पत्र सूचना जारी किया है। सरकार की तरफ से जारी बयान के मुताबिक प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में आयोग गठित करेगी। कोर्ट के आदेश पर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध करायेगी। इसके बाद ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान के मुताबिक आवश्यक हुआ तो राज्य सरकार मा0 उच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके मा0 सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर इलाहबाद की लखनऊ बेंच ने ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया। यह फैसला न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की पीठ ने यह आदेश दिया। इस फैसले से राज्य में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है। पीठ ने उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा पांच दिसंबर को तैयार मसौदा अधिसूचना को रद्द कर दिया है।
‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले' के बिना सरकार ने तैयार किया ओबीसी आरक्षण
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बिना ओबीसी आरक्षण के ही आदेश दिया है। उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार ‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले' के बिना सरकार द्वारा तैयार किए गए ओबीसी आरक्षण के मसौदे को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर उच्च न्यायालय का यह फैसला आया।