० सरके जो बार-बार उसे सरकार कहते हैं- अरुणेश मिश्र
० भारत की एकता का मुख्य आधार हैं मालवीय जी- राम सागर मिश्र
० धानी चुनर में इठलाए भारत जननी ऋतम्भरा- राजकुमार
० मानबिन्दुओं को जीवन मे उतारने की आवश्यता- सांसद
कौस्तुभ बाजपेयी - इंडेविन न्यूज़ नेटवर्क
महोली- सीतापुर।
भारतरत्न पं. मदन मोहन मालवीय जयंती समारोह के अवसर पर मानबिंदु उत्थान समिति महोली द्वारा आयोजित आध्यात्मिक सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ मालवीय जी के चित्र अनावरण, पुष्पार्चन एवं मंगलगान से किया गया, जिसमे बच्चों द्वारा प्रस्तुतियाँ दी गयी, कार्यक्रम का प्रारम्भ छात्र अंकुर कुमार की सरस्वती वंदना के साथ हुआ। तत्पश्चात सुधीर मिश्र ने हे सरस्वती मां ज्ञानदायिनी और गीत लहर लहर लहराए रे मेरे आंगन की तुलसी सुनाया।
कार्यक्रम में पधारी धौरहरा सांसद व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वर्मा ने कहा कि गौ, गीता, गायत्री जैसे मानबिन्दुओं को जीवन मे उतार लेने से समाज का उन्नयन अवश्य सम्भव है।
ख्यातिप्राप्त कवि अरुणेश मिश्र ने अपना हास्यकाव्य अखरे जो बार-बार उसे अखबार कहते हैं व जो कार पर तिरंगा लगाते हैं, देशभक्त कहे जाते हैं प्रस्तुत किया। प्रसिद्ध कवि रजनीश मिश्र ने वीररस व देशप्रेम की पंक्तियों में अपना काव्यपाठ किया उन्होने इससे पावन इससे प्यारा आकाश नहीं मिल सकता सुनाकर खूब तालियां बटोरी।सुर सम्राट कहे जाने वाले प्रवक्ता राजकुमार तिवारी ने देशप्रेम से ओतप्रोत कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया उन्होंने मां जगदम्बा सिंह भवानी, वीरों की यह वसुन्धरा सुनाकर खूब तालियां बोटरी।
सुनीत बाजपेयी ने माँ की गोद में सिर, बांके लाल ने स्वीकार करो मां, विमलेश बाजपेयी ने अगर आप मोहन बदल जाएंगे, रवि त्रिपाठी ने तिरंगे का केशरिया वीरों के जमाने से, बृजकांत बाजपेयी ने लगा चुनावी मौसम तो नेता दौड़न लागे सुनाया। विमलेश बाजपेयी ने यूं अगर आप मोहन मुकर जायेगे तो भला हम से पापी किधर जायेगें, श्रीधर मिश्र ने उठो उठो हे आर्यवीर, उठो धर्म की आभा देखो कविता पढ़ी। इस अवसर पर कवियत्री सीमा बाजपेयी ने अपनी कविता बेटे होते मनमाने वहीं आज्ञाकारी होती बेटियां पढ़कर महिलाओं और बेटियों के लिए समाज मे उनकी महत्ता से परिचित कराया।
कार्यक्रम में छात्र अस्मित ने मालवीय जी का चित्र बनाकर अतिथि को भेंट किया। ज्ञात हो समिति अपना 30वाँ वार्षिकोत्सव मना रही है। आज के दिन ही पूर्व प्रधानमन्त्री भारतरत्न श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी, प्रसिद्ध वैज्ञानिक न्यूटन एवं ईसा मसीह का भी जन्मदिन है कार्यक्रम में उनके भी जीवन पर प्रकाश डाला गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जे.एन.यू. के रसायनशास्त्र के प्रोफेसर श्री राम सागर मिश्र,मुख्य उद्बोधक अध्यात्मविद पूर्व प्रधानाचार्य श्री राम बाबू द्विवेदी, कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजवसेवी व पूर्व प्रधानाचार्य शिव वरदानी शुक्ल ने किया।
मुख्य अतिथि रामसागर मिश्र ने महामना शब्द की महिमा का बखान करते हुए कहा कि इस महान विश्विद्यालय की स्थापना सभी से चंदा व भिक्षा प्राप्त करके हुई थी, इसके पीछे मालवीय जी की दूरदर्शी सोच समझ रही ताकि संस्थान किसी एक व्यक्ति का न होकर समाज मे सभी की भागीदारी सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि मुझे इस महान संस्थान में सेवा देने का अवसर प्राप्त हुआ, जिसके लिए अपने गुरुओं का आभारी हूं। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वहां छात्रों का सर्वांगीण विकास हेतु लगातार प्रयास किये जाते हैं। कार्यक्रम में उन्होंने कहा मालवीय जी और अटल जी दोनों चिर काल तक प्रासंगिक रहेंगे।
कार्यक्रम का संचालन शांतनु दीक्षित ने किया। छात्र अलखकान्त श्रीवास्तव ने भाषण वहीं अभय मिश्र ने अपना काव्यपाठ किया।मानबिन्दु उत्थान समिति के संरक्षक डॉ हर्षवर्धन शुक्ल ने कहा मालवीय जी भक्ति , शक्ति और लगन और दृढ़ इच्छा शक्ति का प्रतीक है वे व्यक्तिगत जीवन में संस्कार सिद्ध थे तो सार्वजनिक जीवन में मानवता प्रेमी। उन्होंने सामूहिक मंत्र दीक्षा का अभिनव प्रयोग किया। महामना मालवीय जी ने किया और उनके शिष्य आचार्य श्रीराम शर्मा ने उस कार्य को आगे बढ़ाया। यह संस्था अपने मूल सिद्धांत " हम दीन दुखी निबलों विकलो के सेवक बन संताप हरें" के आदर्शों पर चलने का प्रयास करती है।कार्यक्रम का समापन आभार प्रदर्शन एवं जलपान से किया गया।
उक्त समारोह में प्रधानाचार्य प्रफुल्ल कुमार मिश्र, पूर्व प्रधानाचार्य सचेन्द्र मिश्र, पूर्व नगर अध्यक्ष चन्द्र कुमार शुक्ल, डॉ प्रेम शंकर गुप्त, दिनेश मिश्र "पिंटू", राजकुमार तिवारी, समिति के संयोजक अध्यापक कौस्तुभ बाजपेयी, डॉ विजय कुमार,वंशीधर शुक्ल, डॉ विनीत मिश्र, सतीश त्रिवेदी, कमलाकांत मिश्र,मनमोहन अवस्थी,देवेंद्र कुमार,संतोष गुप्ता, कृष्ण मोहन पांडेय,नीरज बाजपेयी, राजीव अग्निहोत्री, राधा कृष्ण शुक्ल, मनोज मिश्र,अम्बुज, श्याम किशोर अवस्थी समेत अनेकों विद्वान,काव्य एवं साहित्य प्रेमी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।