प्रयागराज।
बेटे के एनकाउंटर में मारे जाने के गम ने माफिया अतीक अहमद को तोड़ दिया है। सेंट्रल जेल नैनी में पहुंचने के बाद अतीक निढाल होकर जमीन बैठा रहा। करीब चार बजे उसने बैग से दवा निकाली और काफी देर तक हाथ में लेकर उसे देखता रहा। कुछ देर बाद पानी के साथ दवा खाई, लेकिन फिर दीवार से टेक लगाकर बैठ गया। वहीं, अशरफ ने रोजा खोला मगर कोई निवाला मुंह से नहीं निगला।
इससे पहले कोर्ट में पेशी के बाद जब अतीक को नैनी जेल परिसर में लाया गया तो वह बार-बार अशरफ की तरफ देखकर यह कहता रहा कि...अबे सब कुछ तो बरबाद होय गवा, अब बचा का। एतन प्रापर्टी रहय के बादउ अपने औलाद के नय बचाय पावा। प्रिजन वैन में अतीक और अशरफ एक दूसरे को कभी देखते तो कभी पैर के अंगूठे से वैन की फर्श को कुरेदते रहे। कब जेल के अंदर दाखिल हो गए उन्हें कुछ समझ में नहीं आया। वैन का ताला खुलने के बाद सिपाहियों ने कई बार उसे बाहर निकलने के लिए कहा तब जाकर उनका ध्यान भंग हुआ। भारी कदमों से वैन की सीढ़ी से उतरते हुए उसने फिर दोहराया सब कुछ तो बर्बाद होय गवा बे।
बताया जाता है कि वैन में अशरफ ने कई बार भाई अतीक हाथ पकड़ा और समझाने का प्रयास किया। लेकिन सलाखों के पीछे सीसीटीवी कैमरे से अतीक की हालत विक्षिप्त जैसी दिखी। उधर, अशरफ रोजा रखने के बाद भी बिस्तर पर नहीं लेट सका। कमरे में कभी बैठता कभी खिड़की से बाहर झांकता। उसकी नजरें जैसे जेल में किसी को ढूंढ़ रही थीं।
वहीं धूमनगंज पुलिस ने अतीक अहमद से जब सुबह चाय-नाश्ते के लिए पूछा तो माफिया ने जवाब दिया, ‘सियान बेटा मार के चाय-खाना पूछ रहे हो?’ अतीक के इस कथन में दर्द और अफसोस साफ झलका। बेटे को दफनाया जाएगा और हालात ये हैं कि शव को लेने वाला तक कोई नहीं है। खुद अतीक ने असद की मिट्टी में शामिल होने की इच्छा पुलिस के सामने रखी है।