नई दिल्ली।
अक्सर आपने नौसेना से सीनियर अधिकारियों को हाथ में छोटी लाठी ले जाते हुए देखा होगा। लेकिन अब ये आपको नजर नहीं आएगा। इसकी वजह है ब्रिटिश काल से चली आ रही Batons परंपरा को नौसेना ने तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है। भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने बताया कि अमृत काल इंडियन नेवी का बदले स्वरूप में औपनिवेशक विरासत की कोई जगह नहीं है। औपनिवेशक प्रथाओं को खत्म करने के महत्वपूर्ण कदम के तहत भारतीय नौसेना ने अपने कर्मियों द्वारा लाठी ले जाने की प्रथा को बंद करने का ऐलान कर दिया है।
इंडियन नेवी ने शनिवार को ये ऐलान करते हुए बताया कि अपने वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा Batons ले जाने की प्रथा को तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया है। ब्रिटिश शासन के बाद से चली आ रही प्रथा को रोकने का यह निर्णय नौसेना के बल के विभिन्न स्तरों पर औपनिवेशिक युग के प्रभाव को खत्म करने के प्रयास का एक हिस्सा है।
सेना की यूनिफॉर्म और कंधे पर मैडल लगाए इंडियन नेवी के अधिकारी जो हाथ में डंडा लिए नजर आते थे अब इस आदेश के बाद उन्हें हाथ में डंडा लेकर नही चलना पड़ेगा। इंडियन नेवी के प्रवक्ता ने कहा हाथ में डंडा ले जाने की प्रथा "अमृत काल की परिवर्तित नौसेना" के अनुरूप बिलकुल नही है इसलिए इसे हटाने का फैसला लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के रक्षा बलों से अपनी औपनिवेशिक प्रथाओं को छोड़ने के लिए कहा था क्योंकि देश 75 वर्षों से अधिक समय से स्वतंत्र होने के बाद अमृत काल में प्रवेश कर चुका है।
जानें अब कब होगा इसका इस्तेमाल
इस आदेश के बाद भारतीय नौसेना की प्रत्येक यूनिट के हेड के कार्यालय में एक औपचारिक बैटन रखने का निर्णय लिया है। केवल कमान परिवर्तन के रूप में ये इस्तेमाल होगा। कार्यालय के अंदर ही औपचारिक रूप से बैटन सौंपने का कार्य किया जा सकता है। याद रहे एक अधिकारी जब दूसरे अधिकारी को यूनिट की जिम्मेदारी सौंपता है तो इसी लाठी (Batons) को सौंपता है।