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फोटो - अधिवक्ता राजेन्द्र कुमार |
० न्याय मिलने से परिजनो को मिली असीम खुशी
हरिकेश यादव- संवाददाता (इंडेविन टाइम्स)
अमेठी ।
लंबी अदालती लड़ाई के बाद आखिर पीड़ित को न्याय मिल ही गया। इस न्याय के लिए पीड़ित को 37 साल तक अदालतों के चक्कर काटने पड़े। कड़ी मेहनत और साक्ष्य के आधार पर मिली जीत पर अधिवक्ता व पीड़ित के परिजनों ने खुशी जताई । समाज के लोगों का आज भी अदालतों पर विश्वास पूरी तरह से कायम है।
यह पूरा प्रकरण अमेठी तहसील के राजस्व गांव कटरा राजा हिम्मत सिंह से सम्बन्धित है। अदालत में अपना पक्ष रखते हुए वादी राम सुंदर ने मुकदमा पंजीकृत कराया था कि उनके पिता द्वारा खरीदी गई जमीन पर उनके विपक्षी रामसुख जमीन में हिस्सा नहीं दे रहे थे।
आपको बताते चलें कि उक्त मुकदमे के वादी रामसुंदर व उक्त मुकदमे के प्रतिवादी गण रामसुख गंगा आदि के पिता ने बाबूराम ने गांव मे एक मकान का बैनामा सन 1956 में मिलाकर आधा-आधा लिया था ।बैनामा के बाद क्रेतागण बैनामे की आराजी में अपनी-अपनी सुविधा अनुसार बिना किसी बंटवारे के संयुक्त रूप से अध्यासित थे ।कुछ समय पश्चात प्रतिवादीगण के पिता बाबूराम की मृत्यु हो गई। बाबूराम की मृत्यु हो जाने के बाद सन 1986 में वादी ने प्रतिवादी गण से उस जमीन के बंटवारे की बात किया । जिस पर प्रतिवादी द्वारा जमीन का बंटवारा भी नहीं किया और उसे जबरदस्ती मारपीट कर खदेड दिया। इस घटना से व्यथित होकर वादी रामसुंदर ने सिविल कोर्ट मुन्सिफ दक्षिणी कक्ष संख्या 24 के न्यायालय में बंटवारे का मुकदमा दायर किया।इस दौरान मुकदमा वादी रामसुंदर की मृत्यु हो गई ।उनके लड़कों ने मुकदमे को कॉन्टैकस्ट किया और प्रतिवादीगण में रामसुख को छोड़कर सभी भाइयों की मृत्यु हो गई उनके वारिसों ने मुकदमे को कॉन्टैकस्ट किया लगभग साल बाद उक्त मुकदमे का निर्णय वादी के पक्ष में हुआ। न्यायालय ने वादी के पक्ष में मुकदमे की डिग्री किया ।फैसला विलंब से आया है। लेकिन वादी ने न्याय की उम्मीद नहीं छोड़ी और अंततः वादी की मृत्यु के पश्चात ही उसे न्याय मिला। इस मुकदमे में वादी की तरफ से अमेठी जनपद के नेवढ़िया निवासी राजेन्द्र यादव अधिवक्ता थे।अदालत के निर्णय से वादी रामसुंदर के परिजनों ने खुशी जताई। उन्हें न्याय मिलने में लगभग 37 साल लग गए ।लंबे संघर्ष के बाद आखिर उन्हें अदालत से न्याय मिल ही गया। आज भी लोगों की उम्मीद अदालतों पर कायम है।